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नई दिल्ली: केंद्र सरकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के विकल्प पर विचार कर रही है। मानसून सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। हालांकि सरकार अभी इस बात का इंतजार कर रही है कि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा दे दें।

जस्टिस वर्मा को दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच समिति ने दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्‍यीय इन-हाउस पैनल ने भी अपनी जांच में जस्टिस वर्मा के आवास में कैश होने की पुष्टि की है। 8 मई 2025 को तत्‍कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट भेज दी थी। राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व सीजेआई की सिफारिशों को आगे की कार्रवाई के लिए लोकसभा और राज्‍यसभा के अध्‍यक्ष और सभापति को भेज दिया था। तत्‍कालीन सीजेआई ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्‍टाचार की जांच की सिफारिश की है।

दूसरी तरफ,  जस्टिस वर्मा इस बात पर अड़े हुए हैं कि उनके आवास में इतनी बड़ी मात्रा में नकदी कहां से आई, इसके बारे में उनको कुछ पता नहीं है। ऐसे में अब सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्‍ताव लाने की तैयारी कर रही है।