नई दिल्ली: भारत के बैंकिंग सेक्टर में एक और बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के एक और दौर के मर्जर (विलय) की दिशा में आगे बढ़ रही है। इस योजना के तहत छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मिलाया जा सकता है, ताकि बैंकिंग व्यवस्था को और मजबूत, कुशल और सुव्यवस्थित बनाया जा सके।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) का विलय क्रमशः पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जैसे बड़े बैंकों के साथ करने पर विचार किया जा रहा है।
इस प्रस्ताव पर प्रारंभिक चर्चा कैबिनेट स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रही है, जिसके बाद इसे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को जांच और मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, वित्त वर्ष 2027 तक इस योजना पर चर्चा जारी रहने की उम्मीद है और इसी वित्त वर्ष में इसका रोडमैप अंतिम रूप ले सकता है। सरकार फिलहाल इस विषय पर संबंधित बैंकों से परामर्श कर रही है और उनकी राय जानने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “सरकार किसी भी औपचारिक घोषणा से पहले आंतरिक रूप से आम सहमति बनाना चाहती है, ताकि सभी बैंकों और कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”
यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्र सरकार सरकारी बैंकों के एकीकरण को पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
गौरतलब है कि 2017 से 2020 के बीच सरकार ने 10 सार्वजनिक बैंकों का चार बड़ी इकाइयों में विलय किया था, जिसके बाद सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 रह गई थी। उस समय ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में विलय हुआ था, वहीं सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में समावेश किया गया था।
बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रस्ताव यदि साकार होता है, तो भारतीय बैंकिंग सेक्टर और भी मजबूत होगा तथा पूंजी और संचालन क्षमता में सुधार आएगा। हालांकि, इसके साथ कर्मचारियों के पुनर्गठन और शाखाओं के समायोजन जैसी चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं।













