रांची: दिल्ली पब्लिक स्कूल, श ने 2 अगस्त 2025 को अपने दो दिवसीय ह्यूमैनिटीज फेस्ट ‘द आरोहण’ का भव्य समापन किया। 1 और 2 अगस्त को आयोजित यह उत्सव आलोचनात्मक चिंतन, रचनात्मक अभिव्यक्ति और विचारोत्तेजक संवाद का साक्षी बना। रांची शहर के 20 प्रतिष्ठित विद्यालयों से आए 350 से अधिक प्रतिभागियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसने मानवीय विषयों की व्यापकता को समझने और उस पर चर्चा करने के लिए एक प्रेरणादायक मंच प्रदान किया।
समापन समारोह की शोभा मुख्य अतिथि प्रोफेसर विमल किशोर, प्रोफेसर एंस हेड, डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड, रांची ने बढ़ाई। मुख्य अतिथि को सैपलिंग और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डीपीएस रांची के प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा प्रस्तुत एक भावपूर्ण वाद्य संगीत से हुई, जिसने कला और बुद्धिमत्ता का सुंदर संगम प्रस्तुत किया।
दो दिवसीय यह महोत्सव विविध शैक्षणिक और रचनात्मक गतिविधियों से भरा रहा, जिसमें मुख्य आकर्षण डीपीएस रांची मॉडल यूनाइटेड नेशंस रहा जिसके तहत इसमें ऑल इंडिया पॉलिटिकल पार्टी मीट, यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल और यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल का आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त ‘द फोर्थ एस्टेट’ नामक एक मीडिया आधारित प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें प्रतिभागियों ने समाचार प्रस्तुति, पॉडकास्ट और दृश्य रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता की नैतिकता और तकनीक के रचनात्मक उपयोग को प्रदर्शित किया। वाद-विवाद प्रतियोगिता और ‘रेटोरिका – लेट द हिस्ट्री स्पीक अगेन’ जैसे कार्यक्रमों ने प्रतिभागियों की तार्किक क्षमता, ऐतिहासिक समझ और प्रस्तुति कौशल को उजागर किया। इन सभी प्रतियोगिताओं का मूल्यांकन विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक प्रतिष्ठित निर्णायक मंडली द्वारा किया गया।

सभी प्रतियोगिताओं के विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
समापन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर विमल किशोर ने कहा, “’द आरोहण’ में युवाओं की भागीदारी और उनकी गहन समझ को देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। यह आयोजन न केवल मानविकी शिक्षा की शक्ति को उजागर करता है, बल्कि यह छात्रों को एक संवेदनशील, जागरूक और संवादशील नागरिक बनने की प्रेरणा भी देता है। आज जब ज्ञान के क्षेत्र आपस में घुलमिल रहे हैं, ऐसे मंच छात्रों को शैक्षणिक और व्यावहारिक जीवन को सीखने एवं समझने में सक्षम बनाते हैं। मैं डीपीएस रांची को इस सार्थक पहल के लिए बधाई देता हूं।”
