गुरु का मन स्थिर होना चाहिए, चंचल नहीं और वाणी-संयम भी होनी चाहिए : जीयर स्वामी
सूत जी से ऋषियों ने प्रश्न किया कि सभी ग्रंथों के बाद भागवत की क्या आवश्यकता है? इस पर सूत जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि दूध से धी बनता है, लेकिन दूध से घी का काम नहीं होता। आम के वृक्ष से फल प्राप्त होता है, लेकिन पेड़ से फल का आनंद प्राप्त नहीं होगा। इसी तरह वेद का सार है भागवत। भागवत वेद रुपी कल्प वृक्ष का पक्का हुआ फल है। इस पर सभी का अधिकार है। कालान्तर में भगवान द्वारा लक्ष्मी जी को भागवत सुनाया गया। लक्ष्मी जी ने विश्वकसेन को, विश्वकसेन ने ब्रह्माजी, ब्रह्मा जी ने सनकादि ऋषि, सनकादि ऋषियों ने नारद जी, नारद जी ने व्यास जी, व्यास जी ने शुकदेव जी और शुकदेव जी ने सूत जी को सुनाया। बच्चा, बूढ़ा युवा और स्त्री सहित सभी वर्ग और धर्म के लोग इसका रसपान कर सकते हैं।
- Advertisement -