Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज आज, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज सावन माह में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जो प्रकृति, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए महत्वपूर्ण है। इस वर्ष यह पर्व आज यानी 27 जुलाई को मनाया जाएगा। हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। पौराणिक कथा के मुताबिक, माता पार्वती ने 108 जन्मों तक कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना करती हैं। यह पर्व प्रकृति के साथ गहरे जुड़ाव को दर्शाता है, क्योंकि सावन में हरियाली अपनी चरम सीमा पर होती है।

हरियाली तीज शुभ मुहुर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:46 से 05:30 मिनट तक।


प्रातः सन्ध्या: सुबह 05:08 से 06:14 मिनट तक।


अमृत काल: दोपहर 01:56 से 03:34 मिनट तक।


विजय मुहूर्त: दोपहर 02:55 से 03:48 मिनट तक।


गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:16 से 07:38 मिनट तक।

सायं सन्ध्या: शाम 07:16 से 08:22 मिनट तक।

पूजा सामग्री

पूजा के लिए मिट्टी या पीतल का कलश, गंगाजल, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, आक के फूल, फल, मिठाई, घी, कपूर, धूप, चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, सोलह शृंगार की सामग्री (हरी साड़ी, चूड़ियां, मेहंदी, काजल, बिंदी आदि), और हरियाली तीज व्रत कथा की पुस्तक तैयार करें।

पूजा विधि


साफ-सफाई करके घर को तोरण और मंडप से सजाएं।

एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, श्री गणेश, मां पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा का निर्माण करें।

सुहाग की समस्त सामग्री को एक थाली में एकत्रित करें और माता पार्वती को अर्पित करें।

मां पार्वती के बाद भगवान शंकर को वस्त्र अर्पण करें, इसके बाद देवताओं का ध्यान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।

अंत में हरियाली तीज की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए।

रात्रि में चंद्र दर्शन जरुर करें।

हरे रंग का महत्व

हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व है। यह रंग प्रकृति की हरियाली, प्रजनन क्षमता, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। सावन मास में बारिश के कारण चारों ओर हरियाली छा जाती है, जो जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। इसलिए इस दिन महिलाएं हरे रंग की साड़ी, चूड़ियां, मेहंदी और अन्य शृंगार सामग्री धारण करती हैं। हरा रंग माता पार्वती का प्रिय रंग माना जाता है और इसे पहनने से व्रत का फल और शुभता बढ़ती है। इसके अलावा, हरा रंग नारी स्वास्थ्य और प्रकृति के संरक्षण से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि कई पेड़-पौधे जैसे पीपल और वटवृक्ष स्त्री रोगों के लिए औषधीय लाभ प्रदान करते हैं।

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