हजारीबाग: ऑनलाइन गेमिंग के बढ़ते खतरे ने एक बार फिर हृदय को झकझोर दिया है। हजारीबाग जिला में बड़कागांव प्रखंड के चुरचू गांव के भीम कुमार प्रजापति ऑनलाइन गेम के जाल में फंसकर अपनी पूरी संपत्ति खो बैठे। यह मामला दर्शाता है कि कैसे ऑनलाइन गेम केवल समय ही नहीं, बल्कि जीवन और परिवार को भी प्रभावित कर सकते हैं।
भीम कुमार प्रजापति विस्थापित हैं और उनकी जमीन पर एनटीपीसी की पकरी बरवाडीह कोयला परियोजना संचालित है। विस्थापन के दौरान उन्हें लगभग 2 करोड़ रुपए मुआवजा मिला था। शुरुआत में भीम ने मुआवजा और कुछ उधार के पैसे मिलाकर कुल 3 करोड़ रुपए जुटाए, जिसमें मार्केट के 30 लोगों से लिए गए एक करोड़ रुपए भी शामिल थे।
लेकिन ऑनलाइन गेम की लत ने उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर दिया। उन्होंने शुरुआत में कुछ लाख रुपए तक जीत भी हासिल की, लेकिन धीरे-धीरे वह गेम के जाल में फंसते गए और अंततः अपनी पूरी 3 करोड़ की संपत्ति हार बैठे।
हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि अब भीम को कर्जदारों का दबाव झेलना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि कई लोग उनकी तलाश कर रहे हैं, जिससे वह लगातार भागते फिर रहे हैं। परेशान भीम ने हजारीबाग एसपी कार्यालय में आवेदन देकर मुख्यमंत्री से मोहलत की गुहार भी लगाई है। उनका कहना है कि वह जल्द ही उधार लिया गया पैसा वापस कर देंगे।
भीम का कहना है, “मैं किसी और को भी ऑनलाइन गेम के चक्कर में फंसने की सलाह नहीं दूंगा। यह सिर्फ पैसों को ही नहीं, बल्कि इंसान की जिंदगी को भी बर्बाद कर देता है।”
वर्तमान में भीम त्रिवेणी सैनिक कंपनी में नौकरी करते हैं, लेकिन मानसिक और आर्थिक दबाव के कारण वह नौकरी भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं।
यह घटना हमें यह सीख देती है कि ऑनलाइन गेम और इसके अवैध काले बाजार के जुए से दूर रहना कितना जरूरी है। परिवार और जीवन की सुरक्षा के लिए इस तरह के खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
हजारीबाग: ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में करोड़पति से बना भिखारी, 3 करोड़ का नुकसान














