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जुगाड़ एंबुलेंस है साहब; गढ़वा जिले में ‘ठेले’ पर स्वास्थ्य व्यवस्था, फिर सवालों में श्री बंशीधर नगर का हेल्थ सिस्टम

On: February 11, 2024 7:19 AM
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शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) :– गढ़वा जिले में स्वास्थ्य सेवाएं की हालत कितनी बदतर है, इससे अब हर कोई वाकिफ हो ही चुका होगा. क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं की हर एक दिन कुछ न कुछ देखना का मिलता ही है। इसी बीच स्वास्थ्य सेवाएं की पोल खोलने वाला एक और ताजा मामला गढ़वा जिले के श्री बंशीधर नगर अनुमंडल मुख्यालय से सामने आया है।दरअसल, लापरवाही की यह तस्वीर अनुमंडलीय अस्पताल से सामने आया है। यहां पर मरीजों के इलाज में कोताही बरती जा रही है। बताया जा रहा है कि मरीजों को मिलने वाली मुख्य सुविधाओं का भी ख्याल नहीं रहा जा रहा है। शायद यही कारण था कि यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं ठेले पर लेटी हुई नजर आयी।

शनिवार की रात्रि में नगर उंटारी कचहरी के सामने ली गई यह तस्वीर अपनी कुव्यवस्था के कारण अक्सर सुर्खियों में रहने वाला यह अस्पताल एक बार फिर से लचर व्यवस्था का जीता-जागता उदाहरण बना है। अस्पताल के कुव्यवस्था की यह तस्वीर स्वास्थ्य व्यवस्था की फिर से पोल खोल दी है। जानकारी के अनुसार अहिपुरवा ग्राम निवासी कमलेश राम अपने भाई प्रताप राम के तबीयत खराब होने पर अपने परिजनों के साथ उन्हें ठेला पर लेटाकर अनुमंडलीय अस्पताल ले गए है। लकवा की बीमारी से परेशान भाई के इलाज के बाद अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी गई। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद परिजन उन्हें ठेले पर लादकर वापस घर ले गए।

अनुमंडलीय अस्पताल का यह कारनामा कोई नया नहीं

अब यहां सवाल उठता है कि परिजन तो मरीज को ठेले पर लादकर अस्पताल पहुंच गए। चिकित्सक इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दिया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन उन्हें एंबुलेंस मुहैया क्यों नहीं कराया.? उन्हें एंबुलेंस से घर क्यों नहीं भेजवाया? उन्हें ठेले पर ले जाने से मना क्यों नहीं किया। विपन्नता के मारे परिजन बेचारे मरीज को ठेला पर लादकर किसी तरह अस्पताल पहुंचे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन को कम से कम मानवीय दृष्टिकोण से एंबुलेंस की सुविधा करने की जरूरत थी। आपको बता दे कि अनुमंडलीय अस्पताल का यह कारनामा कोई नया नहीं है ऐसी तस्वीर कई बार देखने को मिली है।

स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल

हर माह लाखों रुपए के स्वास्थ्य बजट में अनुमंडलीय अस्पताल में ठेला की सुविधा दी जा रही है। अनुमंडलीय अस्पताल का स्वास्थ्य व्यवस्था इतना लचर हो गया है कि एक गरीब व्यक्ति को घर जाने के लिए एंबुलेंस नसीब नहीं हुआ। अस्पताल की यह शर्मनाक स्थिति है। भले ही मरीज ठेले पर घर चला गया हो लेकिन उसने अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता, अकर्मण्यता, अमानवीयता और निर्लज्जता की पराकाष्ठा को उजागर कर दिया है।

Satyam Jaiswal

सत्यम जायसवाल एक भारतीय पत्रकार हैं, जो झारखंड राज्य के रांची शहर में स्थित "झारखंड वार्ता" नामक मीडिया कंपनी के मालिक हैं। उनके पास प्रबंधन, सार्वजनिक बोलचाल, और कंटेंट क्रिएशन में लगभक एक दशक का अनुभव है। उन्होंने एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से शिक्षा प्राप्त की है और विभिन्न कंपनियों के लिए वीडियो प्रोड्यूसर, एडिटर, और डायरेक्टर के रूप में कार्य किया है। जिसके बाद उन्होंने झारखंड वार्ता की शुरुआत की थी। "झारखंड वार्ता" झारखंड राज्य से संबंधित समाचार और जानकारी प्रदान करती है, जो राज्य के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है।

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