रांची: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दलों के बीच चली खींचतान अब झारखंड की राजनीति को भी प्रभावित करने लगी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह जल्द ही राज्य में गठबंधन की समीक्षा करेगा। पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिहार चुनाव के परिणामों और हालात का विश्लेषण कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राजनीतिक रुख से खासे नाराज हैं। बताया जा रहा है कि वे झामुमो और उसके कार्यकर्ताओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए गठबंधन पर बड़ा फैसला ले सकते हैं।
झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने मंगलवार को कहा कि बिहार में महागठबंधन के प्रमुख घटक दलों ने झामुमो को अंत तक गुमराह किया। पार्टी ने वहां छह सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी, लेकिन गठबंधन धर्म निभाते हुए उम्मीदवार नहीं उतारे। इसके बावजूद झामुमो को दरकिनार किया गया। उन्होंने कहा कि झारखंड में झामुमो ने हमेशा सहयोगी दलों को सम्मान दिया है, लेकिन बिहार में राजद और कांग्रेस का रवैया गठबंधन की भावना के विपरीत रहा।
पांडेय ने कहा, “हम अब भी विपक्षी एकता के पक्षधर हैं, लेकिन बिहार का अनुभव बताता है कि गठबंधन की कार्यप्रणाली की गहराई से समीक्षा जरूरी है।”
झारखंड में गठबंधन धर्म निभाने का झामुमो का उदाहरण
पार्टी नेताओं ने याद दिलाया कि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने राजद को सात सीटें दी थीं। राजद केवल एक सीट जीत पाया, फिर भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गठबंधन धर्म निभाते हुए राजद कोटे से सत्यानंद भोक्ता को पूरे पांच साल मंत्री बनाया। इसी तरह 2024 में भी झामुमो ने राजद के प्रति सम्मानजनक रुख बनाए रखा और चार सीटों- देवघर, गोड्डा, विश्रामपुर और हुसैनाबाद में जीत दर्ज करने के बावजूद राजद के विधायक संजय प्रसाद यादव को मंत्री पद दिया गया।
राजनीतिक हलचल और संभावित असर
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि झामुमो का मौजूदा रुख झारखंड में महागठबंधन की सियासत पर दूरगामी असर डाल सकता है। अगर झामुमो बिहार चुनावों में तटस्थ रहता या राजद से दूरी बनाता है, तो महागठबंधन को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। झामुमो के इस सख्त तेवर से झारखंड में विपक्षी दलों की राजनीति में नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिहार प्रकरण पर विस्तृत समीक्षा के बाद गठबंधन को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं।
बिहार में उपेक्षा के अनुभव ने झामुमो को झारखंड में गठबंधन की दिशा पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है। अब सबकी नजर हेमंत सोरेन के अगले कदम पर है, जो आने वाले महीनों में राज्य की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।
हेमंत सोरेन ले सकते हैं बड़ा फैसला! बिहार चुनाव की खटास के असर से झारखंड की सियासत गरमाई











