नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजयदशमी के अवसर पर भुज एयरबेस पर सैनिकों के बीच शस्त्र-पूजा के दौरान पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि भारत अपनी सीमाओं-और-राष्ट्रहित की रक्षा कर सकता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान भारत ने अपने सभी सैन्य लक्ष्यों को सफलता के साथ हासिल किया और पाकिस्तान के एयर-डिफेंस सिस्टम को एक्सपोज कर दिया गया। बावजूद इसके भारत ने संयम दिखाया, क्योंकि यह अभियान आतंकवाद के विरुद्ध था — इसका उद्देश्य जंग छेड़ना नहीं था।
उनका कहना था कि 1965 की जंग में भारतीय सेना ने लाहौर तक जाने की क्षमता दिखाई थी और “2025 में पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची का एक रास्ता सर क्रीक से होकर गुजरता है” — साथ ही यदि सर क्रीक इलाके में कोई भी ‘हिमाकत’ होगी तो उसे ऐसा करारा जवाब दिया जाएगा कि “इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे।”
रक्षा मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान पाकिस्तान ने लेह से लेकर सर क्रीक तक भारत के डिफेंस सिस्टम में सेंध लगाने की नाकाम कोशिश की, जबकि भारतीय सेनाओं ने प्रभावी जवाबी कार्रवाई कर पाकिस्तानी एयर-डिफेंस को बेनकाब कर दिया। उन्होंने सीमा सुरक्षा के जिम्मे भारत-सेनाओं और बीएसएफ की तैयारी और सतर्कता की भी प्रशंसा की।
क्या है सर क्रीक?
सर क्रीक पाकिस्तान और भारत के बीच एक विवादित समुद्री सीमा-क्षेत्र है और दशकों से दोनों देशों के बीच मतभेदों का विषय रहा है। रक्षा मंत्री ने प्रेस वक्तव्यों में कहा कि पाकिस्तान ने हाल के दिनों में सर क्रीक के समीप अपनी मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाई है, जो उसकी नीयत पर सवाल उठाती है — इसलिए भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
विकास-परिणाम और संदेश
राजनाथ सिंह ने सेना की संयुक्त क्षमता और ‘जॉइंटनेस’ की तारीफ करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर ने सामरिक क्षमता का परिचय दिया।
उन्होंने दोहराया कि भले ही क्षमता हो, पर भारत ने संयम बरता क्योंकि कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी — और भारत की लड़ाई सतत जारी रहेगी।
राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिक्रिया की संभावना
रक्षा मंत्री के कड़े बयानों के बाद कूटनीतिक स्तर पर और सैन्य-संतुलन के लिहाज़ से तनाव-संबंधी चर्चाएँ बढ़ने की संभावना है। सरकारी बयान और राष्ट्रीय सुरक्षा निकायों की प्रतिक्रिया अगले कुछ दिनों में अहम रहेगी — खासकर सर क्रीक जैसे संवेदनशील इलाकों पर अतिरिक्त निगरानी और तैनाती के संदर्भ में।