काबुल। अफगानिस्तान में रविवार (31 अगस्त) देर रात आए भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इस आपदा में अब तक 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
भूकंप का केंद्र और तीव्रता
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, 31 अगस्त रात 11:47 बजे (स्थानीय समय) अफगानिस्तान के पूर्वी कुनार प्रांत में यह भूकंप आया। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.0 मापी गई। भूकंप का केंद्र जमीन से 27 किलोमीटर दूर और आठ किलोमीटर की गहराई पर था।
सोमवार (1 सितंबर) सुबह तक मरने वालों की संख्या करीब 250 बताई जा रही थी, लेकिन दोपहर होते-होते यह आंकड़ा 800 के पार पहुंच गया। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि कई गांव पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गए हैं।
पीएम मोदी ने जताया दुख
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस इस त्रासदी पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “अफगानिस्तान में भूकंप से हुई जनहानि से बहुत दुखी हूं। इस कठिन घड़ी में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोकाकुल परिवारों के साथ हैं। हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। भारत प्रभावित लोगों को हर संभव मानवीय सहायता और राहत प्रदान करने के लिए तत्पर है।
क्यों आता है अफगानिस्तान में ज्यादा भूकंप?
भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, अफगानिस्तान भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील है। यह देश कई सक्रिय फॉल्ट लाइनों के ऊपर स्थित है। यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं, जिनकी हलचल से अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पूर्वी अफगानिस्तान का पहाड़ी इलाका भूस्खलन के लिए भी संवेदनशील है। ऐसे में किसी भी आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य बेहद कठिन हो जाता है।
हालिया वर्षों में बड़े भूकंप
अक्टूबर 2023 में पश्चिमी अफगानिस्तान में आए भूकंप में हजारों लोगों की जान गई थी।
जून 2022 में पक्तिका प्रांत में आए भूकंप में 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
अफगानिस्तान का ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण और अविकसित इलाका है, जहां कमजोर बुनियादी ढांचा और कच्चे मकान आपदा के समय भारी तबाही का कारण बनते हैं।