रांची: रेलवे कैंटीन में नौकरी दिलाने के नाम पर चल रहे बड़े ठगी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने मुख्य आरोपी राकेश रोशन को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह रैकेट काफी समय से सक्रिय था और अब तक बिहार व आसपास के जिलों से आए करीब 200 से ज्यादा युवाओं से लगभग एक करोड़ रुपये की ठगी किए जाने का मामला सामने आया है।
आरोपी ने गोड्डा शहर के सत्यनगर मोहल्ले में आईआरसीटीसी के नाम पर हेल्थ मार्ट नामक जॉब प्लेसमेंट एवं प्रशिक्षण केंद्र खोलकर सैकड़ों युवाओं को झांसा दिया था। वह कार्यालय के माध्यम से दुमका और गोड्डा के दो सौ से अधिक युवाओं से रेलवे में 15 वर्ष की नौकरी दिलाने का वादा कर लाखों रुपये की वसूली कर रहा था। मामला तब उजागर हुआ जब पीड़ित युवक ने नगर थाने में आवेदन देकर ठगी की शिकायत की। इसके बाद कई अन्य पीड़ित भी सामने आये।
नौकरी का लालच, 3 महीने की फर्जी ट्रेनिंग और फिर ठगी
जांच में पता चला कि गोड्डा जिले के बसंतराय थाना क्षेत्र के महेशपुर गांव निवासी राकेश रोशन युवाओं को रेलवे कैंटीन में स्थायी नौकरी दिलाने का झांसा देता था। वह उम्मीदवारों से 10,000 से 50,000 रुपये तक रजिस्ट्रेशन और ट्रेनिंग शुल्क के नाम पर वसूली करता था। नौकरी के भरोसे में युवाओं ने अपनी जमा पूंजी तक लगा दी, वहीं कई ने उधार लेकर राशि जमा की।
ठगी को विश्वसनीय दिखाने के लिए आरोपी ने युवाओं को तीन महीने की फर्जी ट्रेनिंग में भी शामिल किया। इससे पीड़ितों को यकीन हो गया कि उनकी नौकरी पक्की है। लेकिन निर्धारित अवधि के बाद भी न वेतन मिला, न नियुक्ति पत्र। लगातार बहानेबाजी से परेशान युवाओं को अंततः ठगी का अहसास हुआ।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपी के पास से IRCTC के नाम से फर्जी चेक लिस्ट, की-पैड मोबाइल, फर्जी एग्रीमेंट और कई संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
पीड़ितों की शिकायत पर हरकत में आई पुलिस
नाराज युवाओं ने नगर थाना में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज की। पुलिस उपाधीक्षक कुमार गौरव के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। कई ठिकानों पर छापेमारी के बाद राकेश रोशन को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने पूरी ठगी स्वीकार की। साथ ही यह भी खुलासा किया कि इस खेल में कुछ अन्य लोग भी शामिल थे, जिनकी तलाश जारी है। पुलिस ने बताया कि गैंग के कुछ सदस्य दुमका जिले के रहने वाले हैं।
एक करोड़ की ठगी का खुलासा, कई बिंदुओं पर जांच जारी
एसडीपीओ अशोक प्रियदर्शी ने बताया कि अब तक की जांच में लगभग एक करोड़ रुपये की ठगी की पुष्टि हो चुकी है। पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि रैकेट कब से सक्रिय था और वसूले गए रुपये कहां-कहां खर्च किए गए। रिमांड के दौरान आरोपी ने बताया कि भारी कर्ज और आर्थिक तंगी के कारण उसने घर बेच दिया था। उसी कर्ज को चुकाने के लिए उसने यह फर्जीवाड़ा शुरू किया था और जल्द ही इसे बिहार में भी फैलाने की योजना बना रहा था।
पीड़ितों में आक्रोश
घटना के बाद युवाओं और उनके अभिभावकों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि बेरोजगारी का फायदा उठाकर युवाओं का शोषण करने वाले ऐसे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।












