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नोएडा फिल्म सिटी में इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल,जमशेदपुर के संताल युवा राजेश टुडू को”बेस्ट एडिटिंग एंड ग्राफिक्स”अवॉर्ड

On: September 2, 2025 9:42 PM
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डॉक्यूमेंट्री फिल्म ” ट्रेल्स ऑफ बेट्रायल्स” मेट्रो शहरों में रह रहे युवाओं के बीच रिश्तों में आ रही जटिलताओं और भरोसे की कमी पर आधारित जासूसी कहानी

शुरू से ही फिल्म के क्षेत्र में करना चाहते थे काम, करीम सिटी से अंग्रेजी में किया स्नातक, सपनो का किया पीछा, एफटीआई पुणे जाकर सीखे फिल्म निर्माण के गुर

जमशेदपुर : अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर लगातार काम करते हुए कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

जमशेदपुर के कदमा निवासी युवा फिल्म एडिटर राजेश टुडू की कहानी कुछ ऐसी ही है। नोएडा फिल्म सिटी में 1 सितंबर को आयोजित 13वे इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल (IDFFN 2025) में संताल आदिवासी युवा राजेश टुडू ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म ” ट्रेल्स ऑफ बेट्रायल्स” के लिए ” बेस्ट एडिटिंग एंड ग्राफिक्स” अवॉर्ड अपने नाम किया। डॉक्यूमेंट्री फिल्म ” ट्रेल्स ऑफ बेट्रायल्स” मेट्रो शहरों में रह रहे युवाओं के बीच रिश्तों में आ रही जटिलताओं और वैवाहिक रिश्तों में आ रहे भरोसे की कमी पर आधारित है, लोगों के बीच संवादहीनता इस कदर बढ़ जाती है कि वो एक दूसरे के जिंदगी में झांकने के लिए प्राइवेट जासूस की सेवाएं लेने से भी नहीं झिझकते!! फेस्टिवल जूरी ने 15 मिनट फिल्म कैटेगरी में राजेश टुडू के क्रिएटिव योगदान की सराहना की है।

समाज के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दे पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण एफटीआई पुणे के द्वारा किया गया है। फिल्म के निर्देशक महाराष्ट्र के विशाल नागरगोजे है।

27 वर्षीय राजेश टुडू ने 2022 में करीम सिटी कॉलेज से अंग्रेजी में स्नातक किया है। राजेश बताते है कि वह शुरू से ही मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन आर्थिक कारणों से उन्हें मीडिया की जगह अंग्रेजी की पढ़ाई करनी पड़ी। लेकिन वह स्नातक की पढ़ाई के साथ साथ थियेटर गुरु शिवलाल सागर के थियेटर से जुड़े, मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले छात्र छात्राओं से दोस्ती की, और काम को सीखते रहे। अंततः 2022 में ही फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के टीवी एडिट विंग में दाखिला मिल गया। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वहां रहकर अनुभवी मेंटर्स के साथ काम करने का अवसर मिला। राजेश बताते है कि “जीवन में चाहे कोई मोड आए, तकलीफें आए, हम जो करना चाहते है, वही करते जाना चाहिए। फिर एक न एक दिन सफलता मिल ही जाती है।” राजेश ने सैमसंग जेडफोल्ड, पैसा बाजार, टेक्नो जैसे नामी ब्रांड्स के विज्ञापन के लिए भी कार्य किया है, वही आनेवाले कई वेब सीरीज के एडिटिंग टीम का भी हिस्सा है।

राजेश की पिता धानो माझी कदमा स्थित संताल आदिवासी जाहेरथान के नाईके ( संथाल पुजारी ) है। राजेश का गांव सरायकेला के गम्हारिया स्थित बड़काटांड गांव है। उनकी कहानी आदिवासी और सुविधावंचित समुदाय के युवाओं के लिए प्रेरणा है कि पढ़ाई से जुड़कर हम स्वयं और समुदाय को आगे ले जाने में बड़ी भूमिका निभा सकते है।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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