चतरा: मदरसा मज़ाहिर-उल-इस्लाम, सिमरिया में वार्षिक सीरत-उन-नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अधिवेशन और शैक्षिक प्रदर्शन बड़े धूमधाम और व्यापक भागीदारी के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम में झारखंड और अन्य राज्यों से आए महान विद्वानों, नात ख्वाँ, स्थानीय उलेमा, शिक्षकों, इमामों, बुद्धिजीवियों तथा बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की।
इस अवसर पर मदरसे के छात्रों ने कुरान की तिलावत, नात, भाषणों और चर्चाओं के माध्यम से बेहतरीन प्रस्तुतियाँ दीं, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। खास आकर्षण मध्यप्रदेश से आए मेहमान शायर कारी जुबैर भोपाली रहे, जिन्होंने अपनी नातिया कलाम से महफ़िल को रोशन कर दिया।
कार्यक्रम में झारखंड के प्रसिद्ध ताली-कुरान वाचक सोहैब अहमद और मजलिस-ए-उलेमा झारखंड के महासचिव मौलाना मुफ्ती तल्हा नदवी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। नकाबत की जिम्मेदारी मौलाना सुफियान हैदर रांचवी (नकीब-ए-हिंदुस्तान) ने बखूबी निभाई।
विशिष्ट अतिथि मुफ्ती तल्हा नदवी ने अपने संबोधन में कहा कि कोई भी कौम इल्म के बिना तरक्की नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि तरक्की के लिए इल्म हासिल करना ज़रूरी है और पैगंबर मुहम्मद (स.) की सुन्नत को जीवन का उद्देश्य बनाना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में मेधावी छात्रों और सिमरिया क्षेत्र के अन्य विशिष्ट लोगों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
अध्यक्षीय भाषण में मदरसे के नाज़िम कारी मुहम्मद अमानुल्लाह रशीदी ने कहा, “इस्लाम ने ज्ञान प्राप्ति पर सबसे अधिक बल दिया है। इसलिए हमें चाहिए कि अपने बच्चों को शिक्षा के रत्न से सजाएँ।”
कार्यक्रम को सफल बनाने में मदरसे के शिक्षकों, छात्रों और स्थानीय लोगों का विशेष सहयोग रहा। समापन मदरसे के वरिष्ठ शिक्षक हाफ़िज़ तस्लीम अहमद की दुआ से हुआ।
इस्लाम ने सबसे अधिक बल ज्ञान प्राप्ति पर दिया है : कारी मुहम्मद अमानुल्लाह रशीदी














