श्रीहरिकोटा: भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। दुनिया की शीर्ष अंतरिक्ष शक्तियों में शुमार देश ने आज अपने सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस मिशन को अपने सबसे ताकतवर रॉकेट LVM3 (जिसे GSLV Mk-III और ‘बाहुबली’ रॉकेट भी कहा जाता है) के जरिए अंजाम दिया।
इस मिशन ने यह साबित कर दिया कि भारत अब भारी सैटेलाइट लॉन्च करने में भी पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुका है। लगभग 4410 किलोग्राम वजनी CMS-03 भारत द्वारा अब तक लॉन्च किया गया सबसे बड़ा संचार उपग्रह है, जिसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेजा गया है। यह उपग्रह भारत और इसके समुद्री सीम क्षेत्रों में उच्चस्तरीय संचार सेवाएं प्रदान करेगा।
उपग्रह की खासियतें
CMS-03 उपग्रह कई फ्रीक्वेंसी बैंड पर काम करेगा। इसके संचालन से टेलीकॉम सेवाएं मजबूत होंगी, समुद्री और दूरस्थ क्षेत्रों में संचार बेहतर होगा, मौसम निगरानी क्षमताएं बढ़ेंगी, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूती मिलेगी। यह भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को और अधिक सक्षम बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। CMS-03 को नौसेना की अब तक की सबसे उन्नत सैटेलाइट माना जा रहा है। इसकी लॉन्चिंग से भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमता और मजबूत होगी। यह उपग्रह अंतरिक्ष से संचार और समुद्री इलाकों की निगरानी को और भी बेहतर बना देगा।
‘बाहुबली’ LVM3 की ताकत
करीब 43.5 मीटर ऊंचा LVM3 भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। इसके तीन स्टेज हैं:
• दो ठोस ईंधन बूस्टर (S200): शुरुआती जोर देते हैं।
• तरल ईंधन वाला कोर स्टेज (L110): मुख्य शक्ति।
• क्रायोजेनिक स्टेज (C25): सैटेलाइट को सही कक्षा में पहुंचाता है।
यही वही रॉकेट है जिसने भारत के सपनों को चंद्रमा तक पहुंचाया और चंद्रयान-3 को सफलता दिलाई। अब CMS-03 के साथ इसने देश की अंतरिक्ष क्षमताओं को और मजबूती दे दी है।
आत्मनिर्भर अंतरिक्ष तकनीक की ओर बड़ा कदम
इस सफल प्रक्षेपण के साथ भारत को भारी उपग्रहों के लिए विदेशी लॉन्च वाहनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। यह मिशन भारत की आत्मनिर्भर भारत नीति को नई गति देता है और वैश्विक स्पेस मार्केट में भारत की स्थिति को और मजबूत करता है।
LVM3-M5 की यह उड़ान रॉकेट की पांचवीं व्यावसायिक/परिचालन उड़ान रही और हर मिशन के साथ इसरो की तकनीकी परिपक्वता और सटीकता में वृद्धि हो रही है।
राष्ट्रीय गौरव का पल
यह ऐतिहासिक प्रक्षेपण केवल तकनीकी जीत नहीं, बल्कि देशवासियों के लिए गर्व का क्षण भी है। भारत ने एक बार फिर साबित किया है कि वह अंतरिक्ष की दौड़ में केवल दौड़ नहीं रहा, बल्कि अपनी राह खुद बनाते हुए दुनिया को चौंका रहा है।
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