जमशेदपुर : जयालक्ष्मी नाट्य कला मंदिरम की बैठक सोनारी स्थित उपकार्यालय में हुई। सभी ने मुंशी प्रेमचंद की 143 वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनकी एक कहानी ” नमक का दारोगा ” जिसका नाट्य रूपांतरण ए बाबू राव ने किया है। उस पर सभी कलाकारों ने पूर्वाभ्यास शुरू किया।
इस मौके पर जयालक्ष्मी नाट्य कला मंदिरम के निर्देशक ए बाबूराव ने कहा किइस नाटक में यों देखा जाय तो सिर्फ 5 से 7 कलाकारों से भी नाटक किया जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा लगभग 30 से 32 कलाकार एक साथ अभिनय कर सकते हैं । मुख्य पात्र तो मुंशी वंशीधर और पंडित आलोपीदिन ही हैं। यह नाटक आज भी प्रसांगिक है। नाटक के समय, परिवेश, वेशभूषा, खानपान और कई विषयों पर चर्चा हुई। १९१४ इश्वी में लिखी गई यह कहानी लगता है आज की ही कहानी है।
सभी कलाकारों को इस नाटक के बारे में अच्छी तरह से ए बाबू राव ने समझाया। सभी कलाकारों में एक जोश दिखा। भविष्य में इस नाटक का निर्देशन भी ए बाबू राव करेंगे।
नमक का दारोगा महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा रचित लघु कथा है। इसमें एक ईमानदार नमक निरीक्षक की कहानी को बताया गया है जिसने कालाबाजारी के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई है। यह कहानी धन के ऊपर धर्म की जीत है। कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है।
कहानी को सुनने और सुनाने से बेहतर नाटक के द्वारा दर्शकों के बीच दिखाया जाय तो ज्यादा शिक्षा प्रद होता है।