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पड़ोसी नेपाल भूकंप से थर्राया, उत्तर प्रदेश बिहार और उत्तराखंड में भी झटके, दहशत

On: April 4, 2025 4:28 PM
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एजेंसी: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में शुक्रवार को 5.0 की तीव्रता के भूकंप के झटके से हड़कंप मच गया। जबकि भारत के उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और बिहार में भी झटके महसूस किए जाने की खबर हालांकि यह झटके हल्के थे। उसके बावजूद लोगों में दहशत फैल गई और लोग घरों से बाहर भागे। हालांकि जान माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

बता दें कि इसके पहले भी नेपाल में भूकंप के झटके लगे थे और दहशत फैली थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह मध्यम तीव्रता का भूकंप था, लेकिन इससे भविष्य में किसी बड़ी हलचल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि पिछले दिनों आई म्यांमार और बैंकॉक में आई तबाही को कोई भूल नहीं सकता. अभी तक वहां भूकंप से मची तबाही लोग जूझ रहे हैं.

म्यांमार के सगाइंग शहर में बीते शुक्रवार को आए सदी के सबसे शक्तिशाली भूकंप ने तबाही का ऐसा मंजर छोड़ा, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि सड़कें फट गईं, इमारतें ढह गईं और जगह-जगह गहरे गड्ढे बन गए.

बीबीसी के मुताबिक को जेयर नाम के एक व्यक्ति मंडाले से अपने शहर सगाइंग लौट रहा था. उन्होंने बताया कि आमतौर पर 45 मिनट का सफर 24 घंटे में पूरा कर पाए. इस दौरान उन्होंने रास्ते में उन्हें टूटे पुल, गिरी हुई इमारतें और तबाही का भयानक मंजर देखने को मिला. जेयर के परिवार के सदस्य सुरक्षित निकले, लेकिन उनके कई दोस्त इस त्रासदी में मारे गए. सगाइंग लगभग पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो चुका है और राहत कार्य संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.

वहीं, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 3,145 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि सैकड़ों अभी भी मलबे के नीचे दबे हैं. शवों की बदबू पूरे इलाके में फैली हुई है और स्थानीय लोग सामूहिक कब्रों में दफनाने को मजबूर हैं. भूकंप के बाद लगातार आ रहे झटकों के बीच लोग खुले आसमान के नीचे चटाई पर सो रहे हैं. म्यांमार की फौजी सरकार और गृहयुद्ध की स्थिति राहत कार्य में भी बाधा बनी हुई है.

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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