संताली भाषा को प्रथम राजभाषा दर्जा देने की मांग पर झारखंड बंद, वाहनों और रेलों के परिचालन पर व्यापक असर, कई जगह दुकाने रही बंद

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जमशेदपुर: विभिन्न आदिवासी संगठनों के द्वारा संताली भाषा को झारखंड में प्रथम राजभाषा का दर्जा देने, ओलचिकी लिपि में पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन करने, संताली एकेडमी का गठन करने एवं राज्य के स्कूल-कॉलेजों में इस भाषा की पढ़ाई सहित कई मांगों को लेकर झारखंड बंद का प्रदेश के कई जिलों में व्यापक असर पड़ने की खबर है। बंद के कारण कई जिलों में रेलों और वाहनों का परिचालन बुरी तरह प्रभावित होने की खबर है।प्रदर्शन को लेकर टाटानगर स्टेशन पर सहायता बूथ खोला गया था वहीं टाटानगर स्टेशन में कई यात्री परेशान भी दिखे।

पारंपरिक हथियारों और ढोल नगाड़ों के साथ निकले समर्थकों ने जमशेदपुर, चाईबासा, रामगढ़, दुमका, सरायकेला-खरसावां जिलों में हाइवे से लेकर रेलवे ट्रैक तक को बंद समर्थकों ने ठप कर दिया। कुछ अन्य जिलों में भी बंद समर्थकों ने सड़कें जाम की।

टाटा-खड़गपुर रेल सेक्शन पर ट्रेनों का परिचालन मंगलवार सुबह से ही ठप रहा। रांची-टाटा, रांची-पटना, दुमका-रामपुरहाट, दुमका-भागलपुर, चाईबासा-टाटा सहित कई प्रमुख सड़कों पर हजारों की तादाद में उतरे बंद समर्थकों ने जगह-जगह जाम लगा दिया। जगह-जगह वाहनों की लंबी कतार लग गई।

बंद समर्थकों ने बहरागोड़ा में कोलकाता-मुंबई हाइवे को भी जाम कर दिया।सैकड़ों वाहन जाम में फंसे हुए थे।बंद समर्थक हाईवे पर धमसा और मांदर बजा रहे थे वहीं जाम में फंसे ट्रकों के चालक ट्रक के नीचे भोजन बनाते दिखे। बंद से पांच किमी तक वाहनों की लंबी कतारें लग गई थी। जाम में कई निजी वाहन भी फंसे रहे। हालांकि दोपहर दो बजे चली वार्ता के बाद समर्थक सड़क से हट गए जिससे जाम खत्म हो गया।

चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत गोविंदपुर, हल्दीपुखुर रेल खंड के तालाबुरु रेलवे फाटक, खड़गपुर रेल मंडल के घाटशिला व धालभूमगढ़ स्टेशनों के बीच स्थित चिरुगुड़ा, संथाल परगना में दुमका-रामपुर रेलखंड पर बंद समर्थकों के बैठे रहने की वजह से दर्जनों ट्रेनें जहां-तहां खड़ी रहीं। लंबी दूरी की कई ट्रेनों का परिचालन रेलवे को परिवर्तित मार्गों से करना पड़ा।

टाटानगर-बदामपहाड़ मेमू स्पेशल, गोरखपुर-शालीमार एक्सप्रेस, ओखा-शालीमार एक्सप्रेस, सीएसएमटी-हावड़ा मुंबई मेल, पुणे-हावड़ा आजाद हिंद एक्सप्रेस, एलटीटी शालीमार कुर्ला एक्सप्रेस, अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस, जैसी कई ट्रेन विभिन्न स्टेशनों पर रुकी रही। जमशेदपुर और चाईबासा के कई इलाकों में बाजार भी बंद रहे।

बहरागोड़ा में हाईवे 49 और हाईवे 18 को सुबह से ही सैकड़ों पुरुष और महिला आंदोलनकारियों ने जाम कर दिया। इन दोनों सड़कों पर आठ से दस किलोमीटर लंबा जाम लगा रहा। इसी तरह दुमका में रामपुरहाट और भागलपुर जाने वाली मुख्य सड़कों पर आंदोलनकारी सुबह आठ बजे से ही जमे रहे। रामगढ़ जिले में रांची-पटना रोड को घंटों जाम रखा गया। बंद समर्थकों के आगे पुलिस-प्रशासन की एक न चली। चांडिल, मुसाबनी, आदित्यपुर, चाकुलिया, चाईबासा सहित कई स्थानों पर बाजार-हाट में भी सन्नाटा रहा।

बंद समर्थकों ने मुख्य हाइवे और हावड़ा-टाटानगर रेल मार्ग को जाम कर दिया था जिससे एक ओर जहां हाइवे पर वाहनों की लंबी कतारें देखने को मिली वहीं दूसरी और कई ट्रेने विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रही।रेलवे को कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा और कई को रद्द कर दिया गया. समर्थकों ने कोलकाता-मुंबई हाइवे पर भी धरना प्रदर्शन किया। शहरी क्षेत्र में बंद का असर नहीं देखा गया। बंद समर्थक बंदी को सफल बनाने में निकले थे जिससे सड़के जाम भी हुई पर थोड़ी देर बाद प्रशासन की ओर से जाम को मुक्त करा दिया गया।

समर्थक भारी संख्या में सड़कों पर घूम-घूमकर बंद को सफल बनाने के प्रयास में लगे रहे. कई दुकानों को बंद करवा दिया गया। सुबह 8 बजे बंद समर्थक टाटा-हाता मुख्य मार्ग पर संगठन के महासचिव दुर्गा चरण मुर्मू के नेतृत्व में करनडीह चौक जाम कर दिया। जिसके कारण टाटा से हाता, सुंदरनगर, जादूगोड़ा की ओर जाने वाले वाहन सड़क किनारे खड़े हो गए।वहीं विपरीत दिशा से आने वाले वाहन भी जगह-जगह खड़े पाए गए. हालांकि दो पहिया एवं तीन पहिया वाहन चालक ग्रामीण क्षेत्र के अलग-अलग रूट से आना-जाना करते रहे। समर्थकों ने टाटा-बादामपहाड़ रेल लाइन को भी जाम कर दिया जिससे रेलवे को टाटा-बादामपहाड़ ट्रेन को रद्द करना पड़ा।

ओलचिकी हूल बैसी समर्थकों ने एनएच 33 पर चांडिल गोलचक्कर के अलावा कांदरबेड़ा चौक पर भी प्रदर्शन किया और हाइवे को जाम कर दिया जिससे हाइवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई. वहीं एनएच 32 पर चांडिल बाजार को भी बंद करवा दिया. बंद समर्थकों ने घुम-घुमकर बाजार बंद कराया. चौका में बंद समर्थक सड़कों पर रैली निकाला और दुकानदारों से अपने-अपने प्रतिष्ठान को बंद करने की अपील की।इसके बाद देखते ही देखते बाजार पूरी तरह से बंद हो गया।वहीं चांडिल बाजार की भी अधिकांश दुकानें बंद रही चांडिल गोलचक्कर में जाम स्थल पर चांडिल के अंचल अधिकारी, थाना प्रभारी आदि पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।

अलग-अलग जगहों पर जाम में फंसे हजारों लोग परेशान रहे। सड़कों पर कई जगहों पर टायरों में आग लगा दी गई। रेल पटरियों पर जहां-तहां बंद समर्थक धरना देकर बैठे रहे।

बंद का आह्वान करने वाले ओलचिकी हूल बैसी के प्रदेश महासचिव दुर्गाचरण मुर्मू ने कहा है कि 12 घंटे का यह बंद तो सिर्फ सरकार तक अपनी मांगों का संदेश पहुंचाने के लिए बुलाया गया है। हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में अनिश्चितकालीन बंद बुलाया जाएगा।

चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत गोविंदपुर, हल्दीपुखुर रेल खंड के तालाबुरु रेलवे फाटक, खड़गपुर रेल मंडल के घाटशिला व धालभूमगढ़ स्टेशनों के बीच स्थित चिरुगुड़ा, संथाल परगना में दुमका-रामपुर रेलखंड पर बंद समर्थकों के बैठे रहने की वजह से दर्जनों ट्रेनें जहां-तहां खड़ी रहीं। लंबी दूरी की कई ट्रेनों का परिचालन रेलवे को परिवर्तित मार्गों से करना पड़ा।

टाटानगर-बदामपहाड़ मेमू स्पेशल, गोरखपुर-शालीमार एक्सप्रेस, ओखा-शालीमार एक्सप्रेस, सीएसएमटी-हावड़ा मुंबई मेल, पुणे-हावड़ा आजाद हिंद एक्सप्रेस, एलटीटी शालीमार कुर्ला एक्सप्रेस, अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस, जैसी कई ट्रेन विभिन्न स्टेशनों पर रुकी रही। जमशेदपुर और चाईबासा के कई इलाकों में बाजार भी बंद रहे।

बहरागोड़ा में हाईवे 49 और हाईवे 18 को सुबह से ही सैकड़ों पुरुष और महिला आंदोलनकारियों ने जाम कर दिया। इन दोनों सड़कों पर आठ से दस किलोमीटर लंबा जाम लगा रहा। इसी तरह दुमका में रामपुरहाट और भागलपुर जाने वाली मुख्य सड़कों पर आंदोलनकारी सुबह आठ बजे से ही जमे रहे। रामगढ़ जिले में रांची-पटना रोड को घंटों जाम रखा गया। बंद समर्थकों के आगे पुलिस-प्रशासन की एक न चली। चांडिल, मुसाबनी, आदित्यपुर, चाकुलिया, चाईबासा सहित कई स्थानों पर बाजार-हाट में भी सन्नाटा रहा।

बंद समर्थकों ने मुख्य हाइवे और हावड़ा-टाटानगर रेल मार्ग को जाम कर दिया था जिससे एक ओर जहां हाइवे पर वाहनों की लंबी कतारें देखने को मिली वहीं दूसरी और कई ट्रेने विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रही।रेलवे को कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा और कई को रद्द कर दिया गया. समर्थकों ने कोलकाता-मुंबई हाइवे पर भी धरना प्रदर्शन किया। शहरी क्षेत्र में बंद का असर नहीं देखा गया। बंद समर्थक बंदी को सफल बनाने में निकले थे जिससे सड़के जाम भी हुई पर थोड़ी देर बाद प्रशासन की ओर से जाम को मुक्त करा दिया गया।

समर्थक भारी संख्या में सड़कों पर घूम-घूमकर बंद को सफल बनाने के प्रयास में लगे रहे. कई दुकानों को बंद करवा दिया गया। सुबह 8 बजे बंद समर्थक टाटा-हाता मुख्य मार्ग पर संगठन के महासचिव दुर्गा चरण मुर्मू के नेतृत्व में करनडीह चौक जाम कर दिया। जिसके कारण टाटा से हाता, सुंदरनगर, जादूगोड़ा की ओर जाने वाले वाहन सड़क किनारे खड़े हो गए।वहीं विपरीत दिशा से आने वाले वाहन भी जगह-जगह खड़े पाए गए. हालांकि दो पहिया एवं तीन पहिया वाहन चालक ग्रामीण क्षेत्र के अलग-अलग रूट से आना-जाना करते रहे। समर्थकों ने टाटा-बादामपहाड़ रेल लाइन को भी जाम कर दिया जिससे रेलवे को टाटा-बादामपहाड़ ट्रेन को रद्द करना पड़ा।

बंद समर्थकों ने बहरागोड़ा में कोलकाता-मुंबई हाइवे को भी जाम कर दिया।सैकड़ों वाहन जाम में फंसे हुए थे।बंद समर्थक हाईवे पर धमसा और मांदर बजा रहे थे वहीं जाम में फंसे ट्रकों के चालक ट्रक के नीचे भोजन बनाते दिखे। बंद से पांच किमी तक वाहनों की लंबी कतारें लग गई थी। जाम में कई निजी वाहन भी फंसे रहे। हालांकि दोपहर दो बजे चली वार्ता के बाद समर्थक सड़क से हट गए जिससे जाम खत्म हो गया।

डुमरिया के प्रखंड कार्यालय में अंदर से कर्मचारियों द्वारा बाहर का गेट बंद कर काम करने की जानकारी मिली. इससे आक्रोशित सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रखंड कार्यालय परिसर में घुस गए. काम कर रहे कर्मियों को काम बंद रखने को कहा।कर्मियों को कार्यालय परिसर से बाहर रहने को कहा गया। इसके बाद महिला व पुरुष प्रदर्शनकारी प्रखंड कार्यालय के सामने धरना पर बैठ गए।बीडीओ साधुचरण ने प्रदर्शनकारियों को बताया कि प्रखंड कार्यालय में ताला नहीं लगा सकते। पब्लिक का कोई काम नहीं हो रहा है।आवश्यक कार्यों के लिए कार्यालय खुला रखना पड़ता है।

प्रदर्शनकारियों ने हावड़ा-टाटा रेल लाइन पर चीरूगोड़ा स्टेशन के पास रेल लाइन को जाम कर दिया था जिससे रेल सेवा बाधित हो गई थी. कई ट्रेनें विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रही वहीं कई का मार्ग परिवर्तित करना पड़ा. रेलवे ने टाटा-खड़गपुर पैसेंजर और बड़बिल-हावड़ा जनशताब्दी को रद्द कर दिया था।

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