बाहरी को आवेदन से रोकना संविधान के अनुरूप नहीं कह झारखंड गर्वनर ने डोमिसाइल बिल पुनर्विचार के लिए लौटाया

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रांची:झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने यह कहते हुए डोमिसाइल बिल को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया कि बाहर के लोगों को आवेदन से रोकना संविधान के अनुरूप नहीं हो सकता।मुझे लगता है कि पूरी तरह उन्हें बाहर करने की जगह संवैधानिक रूप से सुरक्षित तरीका उपलब्ध कराना चाहिए।

यह जानकारी विधानसभा के अध्यक्ष रविन्द्र नाथ महतो ने शुक्रवार को सदन को देते हुए कहा कि डोमिसाइल स्थिति को निर्धारित करने के लिए 1932 के लैंड रिकॉर्ड के इस्तेमाल से संबंधित बिल को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है।

बता दें कि झारखंड में विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार से शुरू हुआ।सदन का यह सत्र पांच दिन के लिए बुलाया गया है।वहीं, शुक्रवार को सदन की कार्यवाही थोड़ी देर चली औऱ फिर स्पीकर ने 18 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

स्पीकर ने राजभवन से मिले आदेश को सदन में पढ़कर सुनाया।अपने संदेश में राज्यपाल ने कहा कि इस विधेयक को भारत के अटॉर्नी जनरल के कानूनी और संवैधानिक राय के अनुसार पुनर्विचार के लिए लौटाया जाता है। इसमें कहा गया है कि विधेयक का सेक्शन -6 (a) संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 का उल्लंघन करने वाला हो सकता है और यह इसलिए अवैध है. विधेयक के अनुसार क्लास-3 और क्लास-3 के पोस्ट केवल स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व रहेंगी।

राज्यपाल ने कहा कि स्थानीय लोगों को क्लास-3 और क्लास-4 के लिए आरक्षण देने से बाहरी लोगों के लिए आवेदन पर प्रतिबंध लग जाएगा. राज्यपाल राधाकृष्णन ने कहा, ”मुझे ऐसा लगता है कि बाहर के लोगों को आवेदन से रोकना संविधान के अनुरूप नहीं हो सकता. मुझे लगता है कि पूरी तरह उन्हें बाहर करने की जगह संवैधानिक रूप से सुरक्षित तरीका उपलब्ध कराना चाहिए।”

गौरतलब हो कि 11 नवंबर 2022 को विधानसभा के विशेष सत्र में सीएम हेमंत सोरेन की सरकार ने ”झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए अधिनियम, 2022” पारित किया था।इसे आगे राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया गया था. हालांकि राज्य सरकार मौजूदा सत्र में इस विधेयक को दोबारा पेश करने पर विचार कर रही है।इस संबंध में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 1932 के खतियान आधारित डोमिसाइल देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. बता दें कि खतियान का अर्थ यह है कि वर्ष 1932 के वंशज ही झारखंड के वास्तविक निवासी माने जाएंगे।

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