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रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने जमीन घोटाले से जुडे़ मामले में जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।

हेमंत सोरेन की ओर से दलीलें पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि जिस जमीन पर कब्जे के आरोप में ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की है, वह जमीन छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत ‘भुईंहरी’ नेचर की है और इसे किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इस जमीन की लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है। इस जमीन पर हिलेरियस कच्छप नामक एक व्यक्ति खेती करता था और बिजली का कनेक्शन उसी के नाम पर है। इससे हेमंत सोरेन का कोई संबंध नहीं है।

वहीं ईडी की ओर से दलील देते हुए अधिवक्ता एस.वी.राजू ने कहा था कि हेमंत सोरेन ने 2009-10 में जमीन का अधिग्रहण किया था और इसके कब्जे को सुरक्षित करने के लिए एक चहारदीवारी का निर्माण किया गया था। हेमंत सोरेन ने अनधिकृत रूप से बड़गाईं अंचल के 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। यह पीएमएलए एक्ट में निहित प्रावधानों के तहत मनी लॉन्ड्रिंग है। हेमंत सोरेन भूमि घोटाला के सबसे बड़े लाभुक हैं और वह काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं।

ईडी की ओर से कहा गया कि हेमंत सोरेन ने स्वयं को को बचाने के लिए राज्य के अधिकारियों का उपयोग किया है। जमानत मिलने पर हेमंत सोरेन जांच को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। उन्हें जमानत की सुविधा नहीं दी जाए।

दरअसल, 13 मई को ईडी की स्पेशल कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसी को हेमंत सोरेन की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। लैंड स्कैम मामले में ईडी की टीम ने 31 जनवरी को पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। उसी दिन उन्होंने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से वह रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं।

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