रांची: झारखंड में आगामी नगर निकाय चुनाव इस बार एक ऐतिहासिक बदलाव के साथ कराए जाएंगे। राज्य में पहली बार नगर निकाय चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर के जरिए संपन्न होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह अहम निर्णय ईवीएम की अनुपलब्धता को देखते हुए लिया है।
अब तक झारखंड में हुए सभी नगर निकाय चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का ही इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, आयोग के पास मौजूद ईवीएम की तकनीकी आयु पूरी हो चुकी है, जबकि आवश्यकता के अनुरूप नए ईवीएम फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं।
पड़ोसी राज्यों से नहीं मिली ईवीएम
ईवीएम की व्यवस्था के लिए झारखंड को दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ा, लेकिन बिहार समेत अन्य पड़ोसी राज्यों ने अपनी ईवीएम देने से इनकार कर दिया। वहीं, ईवीएम निर्माण करने वाली कंपनी ने भी नए ईवीएम तैयार करने के लिए कम से कम एक वर्ष का समय मांगा है। ऐसे में चुनाव प्रक्रिया को और टालना संभव नहीं था।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि इन सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद आयोग ने बैलेट पेपर के माध्यम से नगर निकाय चुनाव कराने का फैसला लिया है।
अलग-अलग रंगों के होंगे बैलेट पेपर
मतदान प्रक्रिया को स्पष्ट और सरल बनाने के लिए बैलेट पेपर अलग-अलग रंगों में होंगे।
नगर निकाय अध्यक्ष पद के लिए एक रंग का बैलेट पेपर
वार्ड सदस्य पद के लिए दूसरे रंग का बैलेट पेपर
मतदाताओं को मतदान केंद्र पर दो बैलेट पेपर दिए जाएंगे, जिन्हें उन्हें अलग-अलग बैलेट बॉक्स में डालना होगा।
बैलेट बॉक्स की पर्याप्त व्यवस्था
राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि बैलेट बॉक्स की संख्या पर्याप्त है। सभी जिलों में मतदान केंद्रों की संख्या के अनुसार आकलन कर लिया गया है। पुराने बैलेट बॉक्स की रंगाई-पुताई और मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया गया है, ताकि मतदान के दिन किसी तरह की परेशानी न हो।
रांची में ही होगी बैलेट पेपर की छपाई
एक और बड़ा बदलाव बैलेट पेपर की छपाई को लेकर किया गया है। अब तक नगर निकाय चुनावों के लिए बैलेट पेपर कोलकाता में छपवाए जाते थे, लेकिन इस बार इन्हें रांची में ही स्थानीय स्तर पर छापने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रिंटिंग प्रेस के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे जल्द पूरा किया जाएगा।
प्रशासनिक तैयारी तेज
आयोग का कहना है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने को लेकर सभी प्रशासनिक तैयारियां चरणबद्ध तरीके से की जा रही हैं। सुरक्षा, पारदर्शिता और निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए मतदान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाएगा।
कुल मिलाकर, ईवीएम की कमी के चलते लिया गया यह फैसला झारखंड के चुनावी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। अब देखना होगा कि बैलेट पेपर से होने वाले इस चुनाव में मतदान प्रतिशत और मतगणना प्रक्रिया किस तरह सामने आती है।
झारखंड नगर निकाय चुनाव: पहली बार बैलेट पेपर से होगा मतदान, राज्य निर्वाचन आयोग ने की घोषणा










