रांची: अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर जारी नए आंकड़े झारखंड में महिलाओं की सुरक्षा की गंभीर स्थिति की ओर संकेत करते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2023 की रिपोर्ट भले ही कुल अपराधों में मामूली गिरावट दिखाती है, लेकिन महिलाओं के खिलाफ कई श्रेणियों में बढ़ते मामलों ने राज्य को देश के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल कर दिया है। राजधानी रांची लगातार दूसरे वर्ष महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर के रूप में सामने आई है।
प्रतिमाह 140 दुष्कर्म के मामले, रांची सबसे आगे
झारखंड पुलिस के अनुसार, राज्य में हर महीने औसतन 140 दुष्कर्म के केस दर्ज हो रहे हैं। वर्ष 2025 में सितंबर तक कुल 1,369 दुष्कर्म मामले सामने आए। अकेले रांची में ही इस वर्ष 144 दुष्कर्म और 163 किडनैपिंग मामलों का पंजीकरण हुआ। महिलाओं पर बढ़ते हमले और अपराधों की बढ़ती प्रवृत्ति कानून व्यवस्था की गंभीर चुनौती को रेखांकित करती है।
कुल अपराधों में गिरावट, पर कई श्रेणियों में ‘डेंजर ज़ोन’
एनसीआरबी के अनुसार वर्ष 2023 में झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 6,989 मामले दर्ज हुए, जो 2022 की तुलना में मामूली कमी है। लेकिन अपराध दर 36.1 प्रति लाख जनसंख्या अब भी काफी अधिक मानी जा रही है।
दहेज उत्पीड़न में देश में सबसे आगे झारखंड
राज्य में दहेज से संबंधित उत्पीड़न और मौत के मामलों ने स्थिति को और भयावह बना दिया है। दहेज उत्पीड़न के 1,487 मामले, 218 दहेज मौतें अपराध दर 7.7 प्रति लाख, जो देश में सबसे अधिक है। रांची, धनबाद, बोकारो और दुमका जैसे जिलों में दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है।
वन-स्टॉप सेंटरों और 181 हेल्पलाइन पर बढ़ती शिकायतें
वन-स्टॉप सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023-24 में घरेलू हिंसा, शारीरिक उत्पीड़न, दहेज यातना, यौन शोषण, साइबर उत्पीड़न के 100 से अधिक गंभीर मामले सामने आए। लेकिन सीमित संसाधन, अपर्याप्त स्टाफ और तकनीकी सुविधाओं की कमी के कारण कई पीड़ितों को समय पर सहायता नहीं मिल पा रही है।
महिला आयोग नेतृत्वविहीन, कामकाज प्रभावित
झारखंड महिला आयोग पिछले पांच वर्षों से अध्यक्षविहीन है। इसके चलते लंबित शिकायतों का निपटारा रुक गया है। फील्ड मॉनिटरिंग बाधित है। निवारक और पुनर्वास योजनाओं का प्रभाव घटा है। आयोग के निष्क्रिय होने से राज्य की महिला सुरक्षा नीतियों पर सीधा असर पड़ा है। महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर जारी ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि झारखंड में महिला सुरक्षा अभी भी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है।
सरकार की पहलें: मिशन शक्ति से लेकर डिजिटल जागरूकता तक
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) ने मिशन शक्ति योजना के तहत संबल (सुरक्षा) और सामर्थ्य (सशक्तिकरण) दोनों घटकों को मजबूत करने पर जोर दिया है। केंद्र और राज्य सरकारें, साथ ही कई नागरिक समाज संगठन, कानूनी जागरूकता, डिजिटल सुरक्षा, और सामाजिक अभियानों के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम करने के प्रयासों में जुटे हैं।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा, लैंगिक समानता, डिजिटल उत्पीड़न, साइबर अपराध, सामाजिक कुरीतियों से जुड़े कानूनों को काफी मजबूत किया है।
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