JHARKHAND POLITICS: हरियाणा जीत से भाजपाइयों का मनोबल हाई,एनडीए ने ये कर लिया तो सत्ता की चाभी उसके पास होगी!
रिपोर्ट सतीश सिन्हा
झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की तिथि तो घोषित नहीं हुई है लेकिन माहौल तैयार हो गया है। चाहे सत्ता पक्ष महागठबंधन हो या विपक्ष एनडीए। सत्ता पक्ष फिर से एक बार चुनाव में अपना परचम लहराकर फिर से सट्टा की चाबी अपने हाथ में लेने की भरपूर कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी ओर हरियाणा में कांग्रेस को पटकनी देने के बाद भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं का जोश हाई पर है। हरियाणा चुनाव परिणाम और भारतीय जनता पार्टी के जीत के बाद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यह नारा भी लगाया था कि हरियाणा के बाद झारखंड और महाराष्ट्र की है बारी।
लेकिन राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि यदि पिछली बार की तरह जिस तरह भाजपा और आजसू के बीच सीटों का तालमेल नहीं बनने की वजह से दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और दोनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। इन गलतियों से सबक लेते हुए विपक्ष भी इस बार अपनी मजबूती से एलायंस में तालमेल बिठाने की रणनीति के तहत पहले से ही काम कर रही है। जिसमें एनडीए के घटक दल आजसू जनता दल यूनाईटेड को भी सम्मानजनक सीट दी जाने की पुरजोर संभावना है। साथ यह चर्चा है कि यदि सीटों का तालमेल सही हो गया और सटीक प्रत्याशी का भी चयन हो गया तो सत्ता की चाबी एनडीए के हाथ में होगी वरना महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना झारखंड में ट्रेंड कर रही है और उसके सहारे महागठबंधन एक बार फिर से सत्ता चाबी अपने हाथ में रख सकती है।
हालांकि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की नकल करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने गोगो दीदी योजना का कार्ड खेल दिया है। जिसमें योजना के तहत भारतीय जनता पार्टी महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महिलाओं के बैंक खातों में सरकार बनने के तुरंत बाद 2100 रुपए प्रति माह भेजे जाएंगे। इसके लिए भाजपा कार्यकर्ता सक्रिय रूप से फॉर्म भरवा रहे हैं, ताकि महिलाओं को उनके अधिकार और सशक्तिकरण का लाभ मिल सके। वहीं इसके काट में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा सम्मान योजना चलाने की बात कही है।
जानकार राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि चुनाव जीतने के लिए झारखंड में विधानसभा चुनाव के तारीख के पहले एनडीए में सीटों का बटवारा सही ढंग से होना चाहिए सभी घटक दलों का ख्याल रखा जाना चाहिए। और सही प्रत्याशी का चयन सही सीट के लिए जरूरी है। वैसे में खबर आ रही है कि विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही एनडीए ने सीटों के तालमेल को अमलीजामा पहना दिया है।इसकी घोषणा को लेकर काउंट डाउन शुरू हो चुका है। आज कल में इसकी घोषणा हो सकती है।
सूत्रों की मानें तो जमशेदपुर पश्चिमी सीट सबसे हॉट सीट बनने जा रही है क्योंकि यह सीट जदयू के खाते में गई है। जाहिर है कि यहां मुकाबला जदयू की टिकट पर सरयू राय और कांग्रेस के विधायक सह मंत्री बन्ना गुप्ता के बीच होगा।
वहीं दूसरी ओर सूत्र यह भी बता रहे हैं कि एनडीए एलायंस में सीटों का बटवारा ऐसे तय हुआ है। जिसमें मुख्य रूप से आजसू को 09 और जदयू को 02 सीटें मिल सकती हैं। आजसू के खाते में सिल्ली, गोमिया, रामगढ़, टुंडी, मांडू, लोहरदगा, जुगसलाई, ईचागढ़ और पाकुड़ सीट तो जदयू को जमशेदपुर पश्चिमी और तमाड़ सीट मिलने की संभावना है। जबकि चिराग पासवान की लोजपा(रामविलास) को एक सीट मिल सकती है।संभव है कि 2014 के चुनाव की तरह चिराग के खाते में शिकारीपाड़ा सीट जाए। हालांकि अभी तक इस पर अब तक फाइनल मुहर नहीं लगने की खबर है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि इस बार एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए नीतीश कुमार और चिराग पासवान भी आएंगे।
सबसे दिलचस्प मुकाबला झारखंड के जमशेदपुर पश्चिमी सीट बनती नजर आ रही है। जहां पूर्व से ही जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और सरयू राय के बीच सीधी लड़ाई होती रही है।2005 में भाजपा की टिकट पर सरयू रहने सपा प्रत्याशी रहे बन्ना गुप्ता को हराया था लेकिन 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी बनकर बन्ना गुप्ता ने सरयू राय से जीत का बदला ले लिया लेकिन 2014 में सरयू राय ने एक बार फिर बन्ना गुप्ता को शिकस्त दी। 2019 में भाजपा का टिकट कटने से नाराज सरयू राय ने तत्कालीन सीएम रघुवर दास को उनकी जमशेदपुर पूर्वी सीट पर चुनौती दे दी थी और जीत गए थे।तब से सरयू राय और रघुवर दास के बीच की अदावत जग जाहिर है लेकिन रघुवर दास के ओडिशा के राज्यपाल बनाए जाने के बाद सरयू राय और बन्ना गुप्ता के बीच व्यक्तिगत तौर पर भी टकराव की खबरें आती रही है और दोनों पक्षों के द्वारा पुलिस तक मामला पहुंचाया जा चुका है।
चर्चा है कि सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन रघुवर दास की नाराजगी की वजह से आला नेताओं ने बीच का मार्ग निकलते हुए सरयू राय को जमशेदपुर पश्चिम सीट सौंपनें का मन बना लिया है। बताया जा रहा है कि सरयू राय भी तैयार दिख रहे हैं
गौरतलब हो कि झारखंड बनने के बाद से हुए चार चुनावों में किसी भी प्रत्याशी ने दोबारा जीत नहीं हासिल की है। वोटर प्रत्याशी बदलते रहे हैं।वैसे मुस्लिम वोटरों का रुझान बन्ना गुप्ता के प्रति रहा है, लेकिन इस बार सरयू राय के जदयू प्रत्याशी बनने की वजह से मुस्लिम वोट बंटने की संभावना है।ओबीसी वोट तो व्यवसायी वर्ग का रुझान हमेशा से भाजपा की तरफ रहा है।
वैसे बन्ना गुप्ता खुद इसी वर्ग से आते हैं, इसलिए इस इस वोट बैंक को साधना बन्ना गुप्ता के लिए चुनौती होगी।वहीं कुर्मी वोटरों का जदयू के प्रति रुझान बन्ना के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है जहां तक अगड़ी जातियों की बात है तो इस वर्ग के बीच बन्ना गुप्ता की व्यक्तिगत पैठ रही है। इस सीट पर वोट समीकरण के बीच भीतरघात की संभावना भी बनी हुई है क्योंकि सरयू राय और रघुवर दास के बीच 36 का संबंध रहा है, जबकि बन्ना गुप्ता को रघुवर दास का करीबी बताया जाता है।कई मौकों पर दोनों की तस्वीरें भी सार्वजनिक होती रही हैं, लिहाजा जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है।
झारखंड में यह चर्चा आम है कि रघुवर दास की दखल अंदाजी के बाद ही सरयू राय को जमशेदपुर पश्चिमी में शिफ्ट किया गया है। साफ है कि जमशेदपुर पूर्वी सीट पर रघुवर दास के च्वाइस का ही भाजपा प्रत्याशी होगा, लेकिन गौर करने वाली बात है कि इस सीट से डॉक्टर अजय कुमार का कांग्रेस प्रत्याशी बनना तय है।उनके कद के लिहाज से भाजपा के पास कोई वैसा चेहरा नहीं दिख रहा है। ऐसे में जमशेदपुर पूर्वी सीट पर चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद रघुवर दास की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी।अब देखना है कि एनडीए इस सीट से किसको प्रत्याशी बनती है। जहां तक संभावना है कि रघुवर के करीबी ही बनेंगे।
- Advertisement -