महापुरुषों की हत्या महापाप की श्रेणी में आता है :- जीयर स्वामी

ख़बर को शेयर करें।

शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) :— पूज्य संत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि धन के लालच में किसी के साथ विश्वासघात नहीं करनी चाहिए। हो सकता है थोड़े से धन में काम चलाना पड़े या थोड़ी सी परेशानी उठानी पड़े यह सही है। लेकिन सुख भोगने के लालच में अगर किसी मित्र साथी के साथ या किसी भी व्यक्ति के साथ धन के लोभ में विश्वासघात किया जाए यह कदापि उचित नहीं है। इसे बहुत बड़ा दोष लगता है। भागवत कथा अनुष्ठान पूर्वक सुनने पर कल्याण होता है। कथा सुनने के समय संसारिकता से अलग एकाग्रचित्त होने पर फल प्राप्ति होती है। भगवान की कृपा होने पर पति-पत्नी में मधुरता रहती है। यदि पत्नी कर्कशा हो और घर में बच्चों की किलकारी भी नहीं हो, तो सुख-शांति नहीं रहती।

उन्होंने कहा कि जो पाप दुराग्रह के साथ हो, वह महापाप है। ब्राह्मण, गाय, परिजन और महापुरुषों की हत्या और विश्वासी के साथ विश्वासघात करना महापाप की श्रेणी में आता है। शराब पीने, जुआ खेलने, हत्या करने और न्यायालय में मुकदमा करने वाले की सम्पति प्रायः नष्ट हो जाती है। इन कारणों से प्राप्त गरीबी का समाज उपहास करती है, क्योंकि अपनी गरीबी और बेबसी का कारण भी ये स्वयं होते हैं। ऐसे लोगों के प्रति किसी का दयाभाव नहीं होता। ये साधन का दुरुपयोग और दुराग्रह युक्त पाप के भागी होते है। उन्होंने कहा कि मांस, मनुष्य के लिए उचित नहीं। मांस खाने के लिये परपोषी जीवों का कुतर्क नहीं देना चाहिए। मुनष्य के शरीर की संरचना परपोषी जीवों से अलग है। अगर मुनष्य छः माह कच्चा माँस खा ले तो चर्म रोग के साथ ही उसका पाचन तंत्र बुरी तरह कुप्रभावित हो जाएगा। अपने स्वार्थ और गलत इच्छा की पूर्ति के लिए कुतर्क का सहारा नहीं लेनी चाहिए।

स्वामी जी ने कहा कि कामना युक्त कर्मकांड करने एवं कराने वालों में अहंकार आता है। कर्मकांड अगर करना है तो परमामा की प्राप्ति के लिये करे।किसी कामना की पूर्ति के लिये नहीं। स्वामी जी ने कहा कि राजा पृथू को जब आत्मज्ञान हुआ तो वे अपने बड़े पुत्र प्राचीन  वर्हि को राजा बनाकर जंगल में चले गए।एक बार नारद  जी राजा प्राचीनबर्हि को यज्ञ के संबंध में  उपदेश दे थे। नारद जी ने कहा कि सभी जीव-जन्तु प्रभु की संतान आप यज्ञ में पशुओं की बलि नहीं दें। पशु बलि के साथ किया गया यज्ञ अपावन होता है। नारद जी ने अपने तपोबल से उन पशुओं को दिखाया, जिन्हें प्राचीन वर्हि ने यज्ञ में बलि दी थी। सभी पशु क्रोधित नजर आए और अपना बदल  लेने के लिये उद्यत थे।यह देख पाचीन वर्हि को ज्ञान हुआ और भूल पर पश्चताप हुई। स्वामी जी ने कहा कि  विष्णु का अर्थ अहिंसा, प्रेम,सदाचार एवं सदविचार है। सविधार है। हिंसा युक्त यज्ञ विष्णु का यज्ञ नही हो सकता है।बलि यज्ञ से कल्याण संभव  नहीं है।

Video thumbnail
गढ़वा में दिनदहाड़े फायरिंग, योगेंद्र प्रसाद को मारी गोली
02:45
Video thumbnail
पालकोट में तेज रफ्तार बाइक दुर्घटनाफलग्रस्त, एक व्यक्ति की मौ*त।
00:34
Video thumbnail
BCCI उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने लाहौर में भगवान राम के बेटे 'लव' की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की
01:28
Video thumbnail
बाबूलाल मरांडी बने भाजपा विधायक दल के नेता, झारखंड विस० में संभालेंगे नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी
04:50
Video thumbnail
सदन में मृणाल जी की कविता से गूंज उठी जनता की पीड़ा,जयराम महतो बने किसानों,मजदूरों और युवाओं की आवाज
12:59
Video thumbnail
विदेश मंत्री जयशंकर पर लंदन में हमले की कोशिश
00:54
Video thumbnail
श्री बंशीधर मंदिर कॉरिडोर पर विधायक अनंत प्रताप देव का सवाल, मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू का जवाब!सुनिए
03:14
Video thumbnail
श्री विष्णु मंदिर 19वाँ वार्षिकोत्सव को लेकर भव्य कलश यात्रा का आयोजन
08:18
Video thumbnail
सेंट्रल बैंक सगमा में रोशनदान तोड़ कर घुसा चोर असफल रहने पर बगल के पान गुमटी से उड़ाया एक हजार रुपए
02:22
Video thumbnail
मखदुमपुर रेलवे क्रॉसिंग:जर्जर सड़क पर नाला,वाहनों की बात छोड़िए पैदल था मुश्किल,फिलहाल समाधान निकला
05:07
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Related Articles

- Advertisement -

Latest Articles