रांची: बिहार चुनाव में JMM ने महागठबंधन के साथ भाग नहीं लिया। उन्होंने शुरुआत में छह सीटों पर अकेले लड़ने की बात कही थी, लेकिन बाद में फैसला बदल कर कहा कि वे बिहार चुनाव में भाग नहीं लेंगे।
JMM के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस–राजद की ओर से उन्हें चुनाव लड़ने का सम्मान नहीं मिला; जिसके कारण अब झारखंड में महागठबंधन का पुनरावलोकन किया जा सकता है। इस बदलाव के बाद से राजनीति में जोड़–तोड़ की अटकलें तेज हो गयी हैं। खासकर यह कि क्या JMM अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करेगा? कुछ रिपोर्टों में यह संभावना जताई जा रही है।
JMM का बयान: झारखंड झुकेगा नहीं
इस बीच JMM के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक ट्वीट वायरल हुआ है, जिसमें लिखा गया है ‘झारखंड झुकेगा नहीं’। ये पंक्ति राज्य में चल रही अटकलों और चर्चाओं के बीच आई, जिसने सुर्खियां बटोर दीं।
पार्टी प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने भी कहा है, “हाथी, घोड़े, तोप-तलवारें, फौज भी तेरी सारी है… फिर भी सब पर भारी है. … झारखंड ना झुका था ना झुकेगा।”
इस बयान को राजनीतिक अर्थों में इसलिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि कई लोग इसे संकेत के रूप में देख रहे हैं कि JMM अभी गठबंधन बदलने का आसान रास्ता नहीं चुनना चाहता या कम-से-कम बदलाव की दिशा में यह तुरंत नहीं जाएगा।
विशेष रूप से, सीधे BJP के साथ गठबंधन को पार्टी की राजनीतिक आत्म-पहचान के लिए खतरनाक माना जा रहा है। JMM की बड़ी आधारशिला आदिवासी व पिछड़ा वोट बैंक है; भाजपा के साथ जाने पर यह आधार खोने का डर है। इसके अलावा, 2009 की उस गठबंधन की याद भी है जो कि ज़्यादा समय नहीं टिक पाया था।
JMM के बयान ने भाजपा–कांग्रेस दोनों ही गुटों में सियासी हलचल बढ़ा दी है। JMM के अंदरूनी असंतोष (बिहार चुनाव में सीट न मिलने, महागठबंधन में भेदभाव की शिकायत) अब स्पष्ट हो चुका है। यह असंतोष पार्टी नेतृत्व के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है, खासकर तब जब राज्य में आगामी चुनाव नजदीक हों।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि फिलहाल JMM उस तीसरे रास्ते की ओर झुकाव बना सकता है जिसमें वह न कांग्रेस–RJD से पूरी तरह दूरी बनाए, न सीधे भाजपा से जुड़े, बल्कि कुछ नए गठबंधन या स्वतंत्र रूप से राजनीति खेले।
क्या कहता है वर्तमान संकेत?
JMM का “झारखंड झुकेगा नहीं” वाला ट्वीट संकेत देता है कि पार्टी फिलहाल भाजपा के साथ गठबंधन के लिए तैयार नहीं है या कम से कम, उसने यह साफ़ इरादा अभी नहीं दिखाया है। लेकिन बिहार चुनाव से जुड़ी नाराज़गी और पूर्व सहयोगियों से असंतोष एक कप में राजनीतिक अस्थिरता के बीज बो चुका है।
अगला हथकण्डा इस बात पर निर्भर करेगा कि पार्टी नेतृत्व, मतदाताओं की प्रतिक्रिया और आगामी चुनावी समीकरण किस दिशा में जाते हैं।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि JMM अब “पुरानी पहचान + नए समीकरण” की राजनीति खेलने की कोशिश कर सकता है ताकि न अपना वोट बैंक खोए, न राजनीतिक विकल्प बंद हो जाएं।














