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हिंदुओं के पक्ष में सुनाया फैसला… जज को हटाने के लिए इंडिया ब्लॉक ने पेश किया महाभियोग प्रस्ताव; जानें क्या है पूरा मामला

On: December 10, 2025 9:38 PM
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नई दिल्ली: तमिलनाडु की राजनीति और न्यायपालिका के बीच लगातार बढ़ते विवाद के बीच, डीएमके ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायाधीश जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया शुरू करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला को 120 सांसदों के हस्ताक्षरों वाला नोटिस सौंपा।

नोटिस सौंपने वालों में डीएमके संसदीय दल की नेता कनिमोझी, पार्टी के लोकसभा नेता टी.आर. बालू, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल रहे।

कनिमोझी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि INDIA गठबंधन के सांसदों के साथ मिलकर यह नोटिस इसलिए दिया गया है क्योंकि जस्टिस स्वामीनाथन के हालिया आदेशों और व्यवहार को सामाजिक सौहार्द के लिए हानिकारक तथा न्यायपालिका की निष्पक्षता के खिलाफ माना गया है।


महाभियोग नोटिस में क्या कहा गया है?

9 दिसंबर 2025 को जारी नोटिस में भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 और 217 के तहत जस्टिस स्वामीनाथन को पद से हटाने का प्रस्ताव रखा गया है।

नोटिस में प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:

उनके कथित आचरण ने न्यायिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।

उन्होंने एक वरिष्ठ अधिवक्ता और एक विशेष समुदाय के कुछ वकीलों को अनुचित लाभ पहुंचाया।

कई फैसले राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित बताए गए, जो भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता के विपरीत माने गए।

प्रस्ताव के साथ राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्रों की प्रतियां भी संलग्न की गईं।

थिरुपरंकुंद्रम विवाद: महाभियोग का तात्कालिक कारण

महाभियोग की यह पहल थिरुपरंकुंद्रम में पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित कार्तिगई दीपम परंपरा से जुड़े विवाद के बीच सामने आई है।
थिरुपरंकुंद्रम में एक ओर अरुलमिघु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर और पास ही एक दरगाह स्थित है।

जस्टिस स्वामीनाथन ने आदेश दिया था कि 4 दिसंबर तक दीपथून (स्तंभ) पर दीप जलाया जाए। दरगाह प्रबंधन की आपत्तियों को खारिज किया। यह भी स्पष्ट किया कि दीप जलाने से मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता। सुरक्षा बलों की निगरानी में श्रद्धालुओं के छोटे समूह को अनुष्ठान करने की अनुमति दी जाए।

राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए आदेश लागू करने से इनकार किया, जिसके बाद हिंदू समूहों ने प्रदर्शन शुरू किए, पुलिस से झड़पें हुईं और मामला राजनीतिक और कानूनी टकराव में बदल गया।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

भाजपा के पूर्व तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने INDIA ब्लॉक की इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गठबंधन अपनी हिंदू-विरोधी छवि को सम्मान के बैज की तरह पहन रहा है।

उनके अनुसार जस्टिस स्वामीनाथन के आदेश के खिलाफ अपील पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। महाभियोग प्रस्ताव अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और राजनीतिक दबाव से फैसले बदलवाने का प्रयास है।

सुप्रीम कोर्ट अब करेगा सुनवाई

इस बीच, तमिलनाडु सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनने के लिए स्वीकार कर लिया है।
राज्य सरकार का तर्क है कि इस आदेश से कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है और स्थानीय प्रशासन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

मामले की जड़ क्या है?

विवाद दीपथून पर कार्तिगई दीपम प्रज्वलन से जुड़ा, एक पुरानी हिंदू परंपरा है। दीपथून, मंदिर के नजदीक स्थित होने के बावजूद, दरगाह के काफी पास है, जिसके कारण वर्षों से संवेदनशीलता बनी हुई है। जस्टिस स्वामीनाथन ने 1 दिसंबर को आदेश दिया कि दीप जलाना मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी है। आदेश लागू न होने पर 3 दिसंबर को उन्होंने श्रद्धालुओं को खुद दीप जलाने की अनुमति दे दी और CISF को सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा।

इसके बाद विवाद ने राजनीतिक और धार्मिक रंग ले लिया, और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट और संसद, दोनों में पहुंच चुका है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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