जस्टिस भूषण गवई बने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार सुबह जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाई। यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ काविंद और कई अन्य केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। सभी की मौजूदगी में जस्टिस गवई ने हिंदी में शपथ ली।
उनका कार्यकाल 6 महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे। बता दें कि न्यायमूर्ति भूषण गवई ने यह जिम्मेदारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद संभाली है। इससे पहले 16 अप्रैल को तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को गवई के नाम की सिफारिश की थी।
जस्टिस गवई अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आने वाले भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं. उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालकृष्णन साल 2007 से 2010 के बीच सीजेआई रहे थे।
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को अमरावती, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत 16 मार्च, 1985 को की थी, जब वे बार में शामिल हुए। शुरुआत में वे महाराष्ट्र हाईकोर्ट के महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकील बैरिस्टर राजा भोंसले के साथ जुड़े रहे। इसके बाद उन्होंने 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की। उसके बाद उन्होंने मुख्य रूप से संवैधानिक कानून और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों में, बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की। वे 1992 में सहायक सरकारी वकील और फिर अतिरिक्त लोक अभियोजक बने। 2000 में, उन्हें सरकारी वकील और लोक अभियोजक नामित किया गया। उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश और फिर 2005 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। इसके बाद 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।