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Kaal Bhairav Jayanti 2025: आज है काल भैरव जयंती, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

On: November 12, 2025 10:09 AM
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Kaal Bhairav Jayanti 2025: आज देशभर में काल भैरव जयंती या भैरव अष्टमी का पावन पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप भगवान काल भैरव के प्रकट होने का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने अपने रौद्र रूप काल भैरव का अवतार लिया था। भक्त इस दिन विशेष पूजा-अर्चना और व्रत के माध्यम से भय, संकट और जीवन की नकारात्मकता से मुक्ति की कामना करते हैं।

कब है काल भैरव जयंती का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2025, मंगलवार की रात 11 बजकर 9 मिनट पर हुई थी और यह तिथि 12 नवंबर 2025, बुधवार की रात 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।

पूजा के शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 04:56 एएम – 05:49 एएम

प्रातः सन्ध्या: 05:22 एएम – 06:41 एएम

विजय मुहूर्त: 01:53 पीएम – 02:36 पीएम

गोधूलि मुहूर्त: 05:29 पीएम – 05:55 पीएम

सायाह्न सन्ध्या: 05:29 पीएम – 06:48 पीएम

अमृत काल: 04:58 पीएम – 06:35 पीएम

निशिता मुहूर्त: 11:39 पीएम – 12:32 एएम (13 नवंबर)


इसके अतिरिक्त दिनभर विभिन्न लाभ, शुभ और अमृत मुहूर्तों में भी पूजा करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

पूजा विधि और व्रत विधान

स्नान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव और काल भैरव की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं। भक्त भगवान को तिल, सरसों का तेल, काले तिल और सुगंधित पुष्प अर्पित करें। इस अवसर पर कालभैरव अष्टक या अन्य स्तोत्रों का पाठ करने का विशेष महत्व है। पूजन के पश्चात फलों का भोग लगाकर आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें। इस दिन काले कुत्तों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने का एक प्रमुख उपाय बताया गया है।

दान और सेवा का महत्व

कालाष्टमी पर उपवास रखने और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र तथा दान देने का विशेष महत्व बताया गया है। यह माना जाता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल प्रदान करता है और जीवन के पापों का नाश करता है।

काशी में विशेष आयोजन

वाराणसी (काशी) स्थित प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर में इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन के लिए पहुंचते हैं। भक्त भगवान से अपने पापों की मुक्ति, भय से रक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं।

काल भैरव की आराधना के लाभ

शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। जीवन की नकारात्मकता और भय का नाश होता है। मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शनि, राहु और केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है

काशी के कोतवाल के रूप में पूजनीय

भगवान काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजा करता है, उसके जीवन से सभी प्रकार के भय, शत्रु और बाधाएं दूर हो जाती हैं। शिव साधना में भी भैरव की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है।

काल भैरव जयंती का यह पर्व न केवल आध्यात्मिक साधना का अवसर है, बल्कि आत्मबल, साहस और सकारात्मकता का प्रतीक भी है। इस दिन भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त कर जीवन में भय और नकारात्मकता को समाप्त कर सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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