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Kalki Jayanti 2024: कल्कि जयंती आज, 64 कलाओं से परिपूर्ण होकर इस दिन कल्कि के रूप में अवतार लेंगे भगवान विष्णु

On: August 10, 2024 4:39 AM
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Kalki Jayanti 2024: कल्कि जयंती आज यानि 10 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। श्रीमद्भगवत पुराण में भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस पुराण के अनुसार जब धरती पर पाप बढ़ जाएगा तब भगवान विष्णु 64 कलाओं से परिपूर्ण होकर कल्कि अवतार में जन्म लेकर संसार से दुष्ट, पापियों और अधर्मियों का अंत करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। इसके बाद कलयुग का अंत होगा और फिर से सतयुग का आरंभ होगा।

“जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ेगा और धर्म पर संकट आएगा, तब-तब मैं धरती पर अवतार लेकर अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना करूंगा।” भगवान श्रीकृष्ण ने भागवत गीता ज्ञान में अर्जुन को धरती पर अपने जन्म के बारे में बताया है। द्वापर युग में जन्म लेने वाले विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण कलियुग में भी जन्म लेंगे। कल्कि पुराण के अनुसार भगवान कल्कि का जन्म धरती पर होगा, जिसके बाद कलियुग का अंत हो जाएगा और नए युग का आरम्भ हो जाएगा। धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि कलयुग में भगवान विष्णु के अवतार का नाम कल्कि होगा जो कि उनका 10वां अवतार होगा। अभी भगवान कल्कि का जन्म नहीं हुआ और इससे पहले ही उनकी जयंती मनाई जाती है। इस दिन लोग भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन करते हैं और उनसे बुराईयों का अंत करने की प्रार्थना करते हैं।

कल्कि जयंती हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है, जोकि इस साल 10 अगस्त 2024 को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 10 अगस्त 2024 को देर रात 3 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 11 अगस्त को सुबह 5 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 10 अगस्त को कल्कि जयंती मनाई जाएगी। भक्त अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से भगवान कल्कि की पूजा कर सकते हैं। इसके साथ ही कल्कि जयंती पर शिववास योग भी बन रहा है।

कल्कि जयंती पर पूजा के लिए विष्णु जी को चंदन का तिलक लगाएं, अबीर, गुलाल, पीले फूल अर्पित करें। “जय कल्कि जय जगत्पते, पदमापति जय रमापते” का 108 बार जाप करें और फिर नेवैद्य लगाकर आरती करें।

भगवान कल्कि का जन्म

श्रीमद्भागवत पुराण के 12वें स्कंद के 24वें श्लोक के मुताबिक, जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, तब भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि का जन्म होगा। कल्कि का अवतरण सावन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर होगा। यही कारण है कि हर साल इस तिथि को कल्कि जयंती के रूप में मनाया जाता है। श्रीमद्भगवत पुराण के अनुसार कलियुग में भगवान कल्कि जन्म उत्तर प्रदेश के संभल जिले में विष्णु भक्त ब्राह्मण परिवार के घर में होगा। ग्रंथों के अनुसार भगवान कल्कि सफेद घोड़े पर सवार होंगे और उनके घोड़े का नाम देवदत्त होगा। भगवान कल्कि धरती से दुष्टों का नाश करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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