गुमला: प्राकृतिक त्योहार एवं करमा महोत्सव पूरे भारत देश में हर्षोल्लास के साथ भाद्रपद एकादशी तिथी के शुभ अवसर पर भाई बहन का अटूट प्रेम और विश्वास के प्रति करमा एकादशी व्रत कथा भक्ती भाव के साथ बेन्दवाकोना गांव में धूमधाम से मनाया गया। इस त्योहार में बहनों (स्त्रीयां) दिन भर उपवास रखती है,संध्या कालिन ग्राम के बैगा, पहान, एवं प्रमुख व्यक्तियों के द्वारा जंगल से निमंत्रण देकर कर्म पेड़ का डाली (टहनी) को घर लाया जाता है, वर्त रखी महिलाओं के द्वारा घर का आंगन में कर्म डाली को जमिन में गाड़ कर विधिवत पूजन किया जाता है, एवं ब्राह्मणों, बैगा,पहानों,या प्रमुख व्यक्तियों के द्वारा कर्मा और धर्मा, दोनो संगी भाईयों के जिवनी से जुड़ी कहानी (कथा) सुनते हैं तथा रात भर पारम्परिक वाद्य यंत्र, ढोलक, मांदर, करताल, ढाक, नगाड़ा, सहनाई, के ताल से पारम्परिक गीत गाकर इस महोत्सव को मनाते हैं।
वहीं श्री अशोक सिंह (सत्संग प्रमुख सह पूर्णकालिक कार्यकर्ता) विश्व हिन्दु परिषद गुमला ने जानकारी देते हुए कहा कि करमा महोत्सव को पुरे भारत देश में भाद्रपद एकादशी तिथी को सनातन हिन्दू संस्कृती रिती रिवाज के अनुसार कर्मा वर्त कथा महोत्सव के रुप में मनाया जाता है, कर्मा महोत्सव को प्राकृतिक त्योहार के रुप में भी मनाया जाता है, करम एक ऐसा पेड़ है जो 24 घंटा ऑक्सीजन देता है जो मनुष्य के लिए अमुल्य है, भारत देश के मूल आदिवासियों का यह मुख्य त्योहार है।