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Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का समय

On: November 5, 2025 8:09 AM
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Kartik Purnima 2025: हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक माह की पूर्णिमा पर किए गए स्नान, दान और दीपदान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 5 नवंबर 2025, बुधवार को मनाया जा रहा है। इसी दिन देव दीपावली और गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व भी मनाया जाएगा, जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

तिथि और शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि: 4 नवंबर रात 10:36 बजे से 5 नवंबर शाम 6:48 बजे तक

स्नान-दान का विजय मुहूर्त: दोपहर 01:54 बजे से 02:38 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:33 से 05:59 बजे तक

पूजन मुहूर्त: सुबह 07:58 बजे से 09:20 बजे तक

प्रदोषकाल: शाम 05:15 बजे से 07:51 बजे तक — दीपदान का विशेष योग

भद्रा काल: सुबह 06:36 से 08:44 बजे तक (इस समय शुभ कार्य वर्जित)

चंद्रोदय: शाम 05:11 बजे (स्थानों के अनुसार समय भिन्न हो सकता है)


देव दीपावली और धार्मिक मान्यता

पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं को आतंक से मुक्ति दिलाई थी। भगवान शिव का यह रूप त्रिपुरारी कहलाता है। देवताओं ने इस खुशी में दीप जलाए थे, इसलिए इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा को भीष्म पंचक का समापन भी होता है। मान्यता है कि इन पांच दिनों में किए गए व्रत, दान और पूजा सामान्य दिनों से कई गुना अधिक फलदायी होते हैं।

गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व

कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाया जाता है। यह उनका 556वां प्रकाशोत्सव है। गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन होता है। प्रकाश पर्व पर सेवा और दान का विशेष महत्व होता है।

पूजा-विधान और विशेष महत्व

इस दिन प्रातःकाल पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान शिव और तुलसी माता की पूजा की जाती है।

पीले या सफेद वस्त्र धारण करना शुभ,अन्न, वस्त्र, धन और दीपदान का महत्व, मंदिर, घाट या नदी तट पर दीपदान विशेष फलदायक, विषम संख्या (5, 7, 9, 11, 21, 51, 101) में दीप जलाना उत्तम, 365 बाती का दीप जलाने से पूरे वर्ष की पूर्णिमाओं का फल मिलता है।


क्या करें, क्या न करें

करें:

• तुलसी पूजन

• दान-पुण्य, दीया जलाना

• कीर्तन और साधना


न करें:

• क्रोध, कलह और कटु वचन

• मांस, मदिरा और तामसिक भोजन

• भद्रा काल में शुभ कार्य


क्यों विशेष है कार्तिक पूर्णिमा

यह दिन आध्यात्मिक उन्नति, पाप क्षय और मोक्ष का द्वार माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की पूर्ण रोशनी में की गई प्रार्थना और दीपदान से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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