Solar Eclipse/Lunar Eclipse: इस साल पितरों को समर्पित पितृपक्ष का आरंभ और समापन विशेष खगोलीय घटनाओं के साक्षी बनेंगे। सात सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष के दौरान चंद्र और सूर्य ग्रहण लगने जा रहे हैं। खास बात यह है कि पितृपक्ष की शुरुआत और समाप्ति, दोनों ही दिन ग्रहण पड़ेंगे।
कब-कब और कहां दिखेगा ग्रहण?
7 सितंबर 2025 : पितृपक्ष का आरंभ इसी दिन होगा। उसी रात को चंद्र ग्रहण लगेगा, जिसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। इस दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा।
ग्रहण का आरंभ : रात 8:58 बजे
मध्य काल : रात 11:11 बजे (लगभग)
मोक्ष (समापन) : रात 2:25 बजे
यह ग्रहण शतभिषा नक्षत्र और कुंभ राशि में लगेगा।
यह संपूर्ण भारत में दिखाई देगा। इसके अलावा पश्चिमी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, पूर्वी अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में भी इसका दृश्य मिलेगा।
21 सितंबर 2025 : पितृपक्ष का समापन इसी दिन होगा। सर्वपितृ अमावस्या के दिन आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा।
ग्रहण का आरंभ : रात 10:59 बजे
मोक्ष (समापन) : रात 3:23 बजे
यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होगा।
भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
सूतक काल का प्रभाव
7 सितंबर के चंद्र ग्रहण के कारण भारत में सूतक काल मान्य रहेगा। सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाएगा और ग्रहण समाप्त होने पर खत्म होगा। 21 सितंबर का सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए इस दिन सूतक काल लागू नहीं होगा।
धार्मिक दृष्टि से महत्व
पितृपक्ष में ग्रहण लगना विशेष खगोलीय संयोग माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस अवधि में श्रद्धा और नियमों का पालन कर पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से शुभ फल प्राप्त होता है। हालांकि, सूतक काल में धार्मिक कार्य निषिद्ध माने गए हैं, इसलिए 7 सितंबर की रात श्रद्धालुओं को विशेष सावधानी बरतनी होगी।
पितृपक्ष के पहले दिन चंद्र ग्रहण, आखिरी दिन सूर्य ग्रहण; जानें सूतक काल और कहां कहां दिखेगा

