निरंजन प्रसाद
गारू (लातेहार): 21वीं सदी के भारत में अगर किसी मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की जगह चारपाई पर लिटाकर उसे ले जाने की मजबूरी हो तो इसे सरकार की विडंबना और उदासीनता ही कहा जाएगा. गौरतलब है कि लातेहार जिले के महुआडांड़ इलाके के तिसिया गांव के ग्रामीणों की स्वास्थ्य सुविधाएं आज भी खाट पर टिकी है.
अक्सी पंचायत के घोर नक्सल प्रभावित गांव तिसिया की कोरवा समुदाय की 30 वर्षीय महिला ज्योति कोरवा को चार लोगों ने चारपाई के सहारे डोली बनाकर 8 किमी पैदल चलकर एम्बुलेंस तक पहुंचाया गया.
झारखण्ड वार्ता से बातचीत में महिला के पति सुदेश्वर कोरवा ने बताया कि सोमवार रात्रि में उसके पत्नी को प्रसव का पीड़ा शुरू हो गया. पत्नी दर्द से रातभर परेशान रही. मंगलवार को 108 में कॉल करने के बाद एम्बुलेंस गाँव तक जाने से इंकार कर दिया. गांव वालों की सहयोग से बुढ़ा नदी और टेटूक नदी को चारपाई की डोली से पार कर शाम 5 बजे एम्बुलेंस तक पहुंचाया गया. जहाँ से स्वास्थ्य केंद्र महुआडांड़ ले जाया गया. जहां मंगलवार की शाम 7 बजे उस आदिम जनजाति कोरवा समुदाय की महिला ज्योति ने जुड़वा लड़के को जन्म दिया।
