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शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) :– श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर श्री बंशीधर मंदिर के खलिहान प्रांगण में श्री बंशीधर सूर्य मंदिर ट्रस्ट की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को अमृत पान कराते हुए श्रीधाम वृन्दावन से आए आचार्य श्री स्वामी पुण्डरीकाक्षाचार्य वेदांती जी महाराज ने श्रीमद् भागवत में मंगलाचरण के प्रारंभ के 3 श्लोकों की सुंदर व्याख्या की। श्रीमद् भागवत में प्रथम श्लोक में वेदव्यास जी ने धीमहि शब्द का उपयोग किया है। वह संकेत किया है कि श्रीमद्भागवत गायत्री मंत्र का ही अनुवाद है। वेदों को समझ पाना कठिन था इसलिए ब्रह्मसूत्र पर वेदव्यास जी ने जो भाषा लिखा है, उसका नाम है।

श्रीमद् भागवत श्रीमद् भागवत की कथा में 18000 श्लोक 12 स्कंध 335 अध्याय हैं श्रीमद्भागवत का प्रत्येक श्लोक भगवान श्री कृष्ण ही है। भागवत की महिमा इतनी है कि भगवान की कथा सुने बिना इस संसार में ऐसा कोई भक्त हुआ ही नहीं है। जिसने उनकी प्राप्ति कर ली हो अर्थात बिना कथा सुने भगवान को मनुष्य जान नहीं पाता और जब तक उनको जान नहीं पाता तब तक उनकी प्राप्ति नहीं कर पाता। भगवान को जानने का सबसे सरल साधन है, श्रीमद्भागवत की कथा में शौनक जी ने श्री सूत जी से जो प्रश्न किए हैं। उन्हें 6 प्रश्नों का संपूर्ण समाधान भागवत में है।

भगवान श्री कृष्ण के दिव्य अवतार और नारायण भगवान के 24 अवतारों की कथा भागवत में वर्णन है। भगवान ने किस प्रकार अपने भक्तों के लिए बार-बार इस पृथ्वी पर अवतार लिया है इन कथाओं से भागवत ग्रंथ भरा पड़ा है प्रथम स्कंध में भगवान के चरित्र के पहले भक्तों का चरित्र है। इसमें कुंती मैया भीष्म पितामह पांडव द्रौपदी और राजा परीक्षित का सुंदर चरित्र है। श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है।

उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। कथा सुनकर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। कथा के मध्य में मेरी लगी श्याम संग प्रीत और मां की ममता के महत्व का भजन सुनकर भक्त आत्मसात हो गये।

मौके पर कार्यक्रम प्रमुख राजेश प्रताप देव, चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के संरक्षक राम प्रसाद कमलापुरी, प्रतिष्ठित व्यवसाई वीरेंद्र प्रसाद कमलापुरी,मनदीप कमलापुरी,सुजीत अग्रवाल,पत्रकार धीरेंद्र चौबे,मनीष जायसवाल,बैजनाथ तिवारी,विद्या भास्कर छोटू,वीरेंद्र पांडेय,कुणाल कुमार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण मौजुद थे।