माघ पूर्णिमा आज, यहां जानें शुभ योग; पूजा विधि और महत्व

On: February 12, 2025 3:45 AM

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Magh Purnima 2025: माघी पूर्णिमा, माघ महीने की एक पवित्र पूर्णिमा है। यह शुभ दिन उत्तर भारत में माघ महीने का समापन है, जिसे भक्त, विशेष रूप से भगवान विष्णु के उपासक पूजते हैं। लाखों लोग इसे एक पवित्र अनुष्ठान मानते हुए पवित्र स्नान करते हैं। इस दिन गंगा स्नान, विशेषकर तीर्थराज प्रयाग के संगम में, का विशेष महत्व है। इसी दिन प्रयागराज के महाकुंभ में पांचवा शाही स्नान भी किया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा की तिथि 11 फरवरी को शाम 6:55 बजे से शुरू हुई और इसका समापन आज 12 फरवरी को शाम 7:22 बजे होगा। इसलिए, उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा का पर्व 12 फरवरी, यानी आज मनाया जाएगा। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का अवसर भी मिलता है।
माघ पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 05:05 बजे से प्रातः 05:54 बजे तक
अमृत काल: शाम 05:55 बजे से शाम 07:35 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:31 बजे से 03:18 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त 18:07 से 18:32
निशिता मुहूर्त: 12:09 पूर्वाह्न, 13 फरवरी से 12:58 पूर्वाह्न, 13 फरवरी
माघ पूर्णिमा 2025 महत्व
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, माघी पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस पवित्र अनुष्ठान से पिछले और वर्तमान पाप धुल जाते हैं। स्नान के बाद, भक्त आध्यात्मिक शुद्धि की कामना करते हुए दान देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और हनुमान की पूजा की जाती है और भक्त उनका आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन देवताओं की पूजा करने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
माघ पूर्णिमा को आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक पवित्र दिन माना जाता है। पौराणिक कथाओं से पता चलता है कि इस महीने के दौरान, देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरते हैं, गंगा के तट पर निवास करते हैं। इस शुभ अवसर को ‘माघ मेला’ और ‘कुंभ मेला’ द्वारा चिह्नित किया जाता है, जहाँ सैकड़ों भक्त माघी पूर्णिमा की पवित्र भावना में डूबकर गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं।
माघ पूर्णिमा 2025 पूजा विधि
माघ पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। आज के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसके साथ ही माघ पूर्णिमा पर पीपल और तुलसी पूजन का भी महत्व है।