शुभम जायसवाल
श्री बंशीधर नगर गढ़वा:– पूज्य संत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न श्री जियर स्वामी जी महाराज ने कहा कि संत और भक्त वही है जिसे भगवान का सगुण साक्षात्कार हुआ हो। भोजन के बिना तृप्ति कहाँ ?भगवान् आलिङ्गन देकर प्रीतिसे इन अङ्गों को शान्त करेंगे और अमृतकी दृष्टि डालकर मेरे जी को ठंडा करेंगे। गोद में उठा लेंगे और भूख-प्यास भी पूछेंगे और पीताम्बर से मेरा मुँह पोंछेंगे। प्रेमसे मेरी ओर देखते हुए मेरी ठुड्डी पकड़ कर मुझे सान्त्वना देंगे। मेरे माँ-बाप हे विश्वम्भर अब ऐसी ही कुछ कृपा करो ! मेरे माँ-बाप ! मुझे प्रत्यक्ष बनकर दिखाइये। आँखों से देख लूँगा तब तुमसे बात चीत भी करूँगा, चरणों में लिपट जाऊँगा। फिर चरणों में दृष्टि लगाकर हाथ जोड़कर सामने खड़ा रहूँगा। यही मेरी उत्कट वासना है। नारायण ! मेरी यह कामना पूरी करो। परनिन्दा में बड़ी रुचि थी, दूसरों की खूब निन्दा की। परोपकार न मैंने किया; न दूसरों से कभी कराया । दूसरों को पीड़ा पहुँचाने में कभी दया न आयी।
