मालेगांव ब्लास्ट केस: 17 साल बाद आया फैसला, कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर सहित सभी आरोपियों को किया बरी

On: July 31, 2025 11:50 AM

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Malegaon Blast Case Verdict: मालेगांव बम विस्फोट मामले में NIA कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया। अदालत ने बीजेपी नेता और पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुवेर्दी, अजय रहीरकर, सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ शंकराचार्य और समीर कुलकर्णी को बरी कर दिया। विशेष NIA कोर्ट के जज ए.के. लाहोटी इस मामले में फैसला सुनाया।
एनआईए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था। अदालत ने कहा, इस मामले में यूएपीए लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि नियमों के अनुसार मंज़ूरी नहीं ली गई थी। मामले में यूएपीए के दोनों मंजूरी आदेश दोषपूर्ण हैं। श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के आवास में विस्फोटकों के भंडारण या संयोजन का कोई सबूत नहीं मिला है। पंचनामा करते समय जांच अधिकारी ने घटनास्थल का कोई स्केच नहीं बनाया था। घटनास्थल से कोई फिंगरप्रिंट, डंप डेटा या कुछ और एकत्र नहीं किया गया था। नमूने दूषित थे, इसलिए रिपोर्ट निर्णायक नहीं हो सकती और विश्वसनीय नहीं हैं। विस्फोट में कथित रूप से शामिल बाइक का चेसिस नंबर स्पष्ट नहीं था। अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि विस्फोट से ठीक पहले वह साध्वी प्रज्ञा के पास थी।
2008 का मालेगांव बम धमाका देश के सबसे विवादित और चर्चित आतंकी मामलों में से एक रहा है। ये केस इसलिए भी अहम है क्योंकि इसमें पहली बार हिंदू आतंकवाद जैसे शब्द का राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में प्रवेश हुआ था। इसे लेकर भारी सियासी विवाद मचा था।
2018 में शुरू हुआ यह मुकदमा 19 अप्रैल, 2025 को पूरा हुआ और मामले को फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया गया। 29 सितंबर, 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित इस कस्बे में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए थे।