शुभम जायसवाल
पशु बलि के साथ किया गया यज्ञ अपवित्र हो जाता है:- जीयर स्वामी।
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– पूज्य संत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज ने कहा कि धर्म की जिज्ञासा के बाद ब्रह्म की जिज्ञासा करनी चाहिए। बिना धर्म को जाने ब्रह्म की खोज कठिन होती है। भूमि में छुपी खनिज-सम्पदा एवं दूध में मिले पानी को नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता, इसके लिए उपकरण की आवश्यकता होती है। उसी तरह ब्रह्म को जानने के लिये धर्म रुपी उपकरण आवश्यक है। जैन धर्म सनातन से है, परन्तु जैन धर्म-दर्शन नहीं स्वीकारने के कारण सर्वमान्य नहीं हो पाया। सनातन धर्म दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं।
श्री जीयर स्वामी ने कहा कि मानव जीवन में शरीर से कर्म होता है जिसे मन संचालित करता है। मन को नियंत्रित रखना चाहिए। अंगुलिमाल का शरीर वही रहा लेकिन मन के बदल जाने से वह अहिंसा का पुजारी बना। श्री जीयर स्वामी जी ने कहा कि एक बार राजा जनक आत्म ज्ञान प्राप्त करने के लिये एक सभा बुलायी। उन्होंने कहा कि अल्प समय में जो आत्मज्ञान करायेगा, उसे आधा राज दे देंगे। विद्वानों ने अलग-अलग राय दी। राजा जनक संतुष्ट नहीं हुए। सभा में पहुंचे अष्टावक्र को देख सभी लोग हँस दिये क्योंकि उनके सभी अंग टेढे थे। अष्टावक्र ने कहा कि किसी का शरीर देखकर उपाहास नहीं करनी चाहिये। उसका गुण देखना और जनाना चाहिए। जनक जी क्षमा याचना किये। अष्टावक्र जी ने घोड़ा मंगाया।
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