नई दिल्ली/इंफाल: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर के कुकी-जो समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक की। यह बैठक संचालन निलंबन समझौते (एसओओ) के तहत चल रहे संवाद का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य राज्य में स्थायी शांति बहाल करना है।
बैठक के दौरान कुकी-ज़ो प्रतिनिधियों ने एक बार फिर अपने लिए केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मांगा, जिसमें एक विधानमंडल की स्थापना भी शामिल है। समुदाय ने अपनी इस मांग को संवैधानिक प्रावधानों और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के आधार पर उचित ठहराया।
हालांकि, गृह मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत सरकार मणिपुर के जनजातीय समुदायों की कठिनाइयों और चिंताओं को समझती है, लेकिन वर्तमान राष्ट्रीय नीति के तहत नए केंद्र शासित प्रदेशों के गठन का समर्थन नहीं किया जा सकता।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसी भी बड़े निर्णय से पहले राज्य के अन्य समुदायों से व्यापक परामर्श आवश्यक है। उन्होंने कहा, “सरकार का प्रमुख उद्देश्य मणिपुर में स्थायी शांति, आपसी विश्वास और सामाजिक सौहार्द स्थापित करना है। इसी दिशा में संवाद की प्रक्रिया जारी रखी जाएगी।”
सूत्रों के अनुसार, बैठक में सुरक्षा, पुनर्वास और विकास से जुड़ी कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई। सरकार ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि उनकी व्यावहारिक समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, लेकिन नया केंद्र शासित प्रदेश बनाना फिलहाल नीति के दायरे में नहीं है।
गृह मंत्रालय का रुख साफ है कि मणिपुर में स्थायी समाधान संवाद, सहमति और सभी समुदायों की भागीदारी से ही संभव है। आने वाले समय में सरकार और कुकी-ज़ो समूहों के बीच बातचीत का अगला दौर भी आयोजित किए जाने की संभावना है।
केंद्र ने कुकी-जो समूहों की मणिपुर से अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग ठुकराई, अब आगे क्या?










