मणिपुर:बाल बाल बची भाजपा, कांग्रेस ने दिल्ली से ही कर दिया था खेला! लेकिन भाजपा के चाणक्य ने…!
मणिपुर: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह का इस्तीफा सुर्खियों में है। जिसको लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। जहां भारतीय जनता पार्टी और नागा पीपुल्स फ्रंट की संयुक्त सरकार चल रही थी लेकिन कांग्रेस ने लगभग खेला कर ही दिया था। कथित रूप से सरकार गिराने की साजिश रच दी थी और मणिपुर विधानसभा के सत्र शुरू होते ही मणिपुर के मुख्यमंत्री एन वीरेन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर दी थी। जिसमें उन्होंने तकरीबन भारतीय जनता पार्टी के दो तिहाई से अधिक विधायकों को अपने साजिश में शामिल कर लिया था लेकिन ऐन वक्त पर भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेर दिया और भाजपा की बेइज्जती होते-होते बच गई। हालांकि मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और राज्यपाल को विधानसभा का सत्र रद्द करना पड़ा। फिलहाल मुख्यमंत्री एन वीरेन को नया मुख्यमंत्री या सरकार बनाए जाने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री रहने को कहा गया है। वहीं वहीं दूसरी ओर चर्चा यह भी है कि कहीं राष्ट्रपति शासन भी मणिपुर में ना लग जाए।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में क्लीन बोल्ड और जीरो पर आउट होने वाली कांग्रेस ने दिल्ली से दूर मणिपुर में भाजपा के साथ खेला कर दिया। अविश्वास प्रस्ताव की अटकलों के बीच अंततः मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों का कहना है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों समेत बीजेपी के दो तिहाई से अधिक विधायक अपनी ही सरकार के मुखिया के खिलाफ सोमवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में लामबंदी करने वाले थे।
इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति मानी जा रही है जो मई 2023 से कुकी-मैतेई हिंसा में सुलग रहे मणिपुर की अनदेखी पर मुख्यमंत्री ए बीरेन सिंह को लगातार कठघरे में खड़ा करती आई है। इस हिंसा में अब तक 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
इस बार कांग्रेस को असंतुष्ट भाजपा विधायकों की ओर से भी समर्थन संकेत मिले थे। संभवतः यही वजह रही कि बीरेन सिंह ने विगत सप्ताह में दो बार केंद्रीय आलाकमान से मुलाकात की लेकिन इस बार दाल नहीं गली। विधानसभा अध्यक्ष टी सत्यव्रत को जनवरी के आखिरी हफ्ते दिल्ली बुलाए जाने के बाद बीरेन सिंह को हटाए जाने की अटकलें और तेज हो गईं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पंचायती राज मंत्री युमनाम खेमचंद की मुलाकात
इस बीच पिछले सप्ताह सोमवार को ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री युमनाम खेमचंद भी दिल्ली गए। खेमचंद वास्तव में बीरेन सिंह के मुखर आलोचक है, जिन्हें अमित शाह ने मिलने के लिए बुलाया था। इन घटनाक्रमों के बीच कांग्रेस द्वारा बीजेपी के कुछ असंतुष्ट सदस्यों के कथित समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी चर्चा चल रही थी।
मणिपुर विधानसभा में विभिन्न पार्टियों की स्थिति
60 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास 43 सीटों के साथ बहुमत है। एक सीट खाली है। बीजेपी के 37 विधायक हैं, जिन्हें उसके सहयोगी नागा पीपुल्स फ्रंट के 5 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। विपक्ष के पास 16 सीटें हैं, जिनमें नेशनल पीपुल्स पार्टी की 6, कांग्रेस की 5, निर्दलीय 3 और केपीए के 2 विधायक शामिल हैं। केपीए ने अगस्त 2023 में बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था तो जेडीयू के एक विधायक भी पिछले दिनों बीरेन सरकार से दूर हो गए।
भाजपा के एक गुट ने दी चेतावनी
मणिपुर हिंसा मामले को जिस तरह से हैंडल किया गया उससे भाजपा का एक गुट नाराज है। एक असंतुष्ट भाजपा विधायक के मुताबिक, पिछले 2 सालों से न तो राज्य के नेतृत्व और न ही केंद्र ने शांति के लिए कोई रोडमैप तैयार किया है।
विधायक ने कहा कि वे केवल यह कहकर ध्यान भटका रहे हैं कि हम सीमा को सील कर देंगे, हम एनआरसी लागू करेंगे या ड्रग्स के खिलाफ युद्ध शुरू करेंगे। मगर मुख्य मुद्दा शांति और नॉर्मल्सी की बहाली है। हमारा कहना है कि अगर विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले इसमें कोई बदलाव नहीं होता है तो सत्र के दौरान कुछ बड़ा और अप्रत्याशित होगा।
कलह का फायदा उठाने की फिराक में कांग्रेस
मणिपुर में ताजा सियासी हलचल को कांग्रेस मौके के रूप में देख रही है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के भीतर मतभेद पर उनकी नजर है। कांग्रेस के मणिपुर प्रभारी गिरीश चोडांकर ने कहा कि हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव लाने की संख्या नहीं है।
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