नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि एक जुलाई से प्रभाव में आने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए तकनीक एक महत्वपूर्ण कारक होगी, क्योंकि इनके तहत एसएमएस (SMS) के जरिये समन जारी किए जाएंगे। 90% गवाह वीडियो कॉल के माध्यम से पेश होंगे और अदालतें प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर आदेश जारी करेंगी।
उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं आपको विश्वास के साथ कह सकता हूं कि तीन साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली होगी।’
उन्होंने कहा कि यह प्रणाली लगभग पूरी तरह से तकनीक पर आधारित है। उदाहरण के लिए, सभी अदालती मामले ऑनलाइन हो जाएंगे और एफआईआर, कोर्ट डायरी और फैसले का डिजिटलीकरण किया जाएगा। हमने उन मामलों में फॉरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य कर दिए हैं, जहां न्यूनतम सात साल की कैद का प्रावधान है। पहले ही, अधिकारियों ने पिछले पांच वर्षों में देश भर में नौ करोड़ अपराधियों के फिंगरप्रिंट डाटा एकत्र किए हैं। साथ ही अधिकारियों का प्रशिक्षण लगभग समाप्त हो गया है।
नए कानूनों को मिली मंजूरी
लोकसभा में बीते 21 दिसंबर को तीन नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक को मंजूरी मिली थी। ये कानून मौजूदा कानूनों भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को तीनों नए कानूनों को मंजूरी दे दी थी।