मध्यप्रदेश:- शहडोल जिले से दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है, जहां नवजात के इलाज के नाम पर क्रूरता की गई, जिससे मासूम की मौत हो गई। पिछले चार-पांच सालों में इस छोटे से जिले में ऐसे दो हजार मामलों को उजागर किया गया है, जिनका इस भयानक तरीके से इलाज किया गया है। ‘दगना’ एक भयावह प्रथा है जो प्रदेश के कुछ आदिवासी अंचलों में अब भी पाई जा रही है। हालांकि यह केवल यहीं की क्रूर प्रथा नहीं है। देश के अलग-अलग कोनों में इसे किसी न किसी रूप में पाया गया है, इस प्रक्रिया में बीमार बच्चे जो ज्यादातर निमोनिया या श्वसन संबंधी बीमारी से होते हैं, लोहे की रॉड गरम करके बच्चे के शरीर पर लगा दिया जाता है। यह इतना भयानक होता है कि ऐसे मामले भी आए हैं जहां एक बच्चे के शरीर पर पचास बार लोहे की राॅड से दागा गया हो।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन जी एस परिहार ने बताया कि बच्चे को 21 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को जिला अस्पताल की बाल गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में इलाज के दौरान शिशु (डेढ़ महीने) की निमोनिया से मौत हो गई। बंधवा गांव में सांस की समस्या के इलाज के लिए बच्चे को लोहे की गर्म राॅड से कई बार दागा गया था। जिससे वह गंभीर रूप से ज़ख्मी हो गया था।एक और नवजात कुप्रथा (दगना) की भेंट चढ़ गया।
‘दगना’ जैसे कलंक को झेलने वाले मध्यप्रदेश में कुपोषण के हालात पहले से बेहतर हैं लेकिन फिर भी खराब हैं। दूसरी ओर दूरदराज के इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचने का हाल भी बहुत बुरा है। ऐसे में प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 47 पर बनी हुई है।