गढ़चिरौली/रायपुर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ‘नक्सल मुक्त भारत’ अभियान के तहत सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है। मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025 को एक बड़े माओवादी नेता सोनू दादा उर्फ भूपति ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली इलाके में अपने 60 साथियों के साथ सरेंडर कर दिया। सुरक्षा बलों ने बताया कि उन्होंने अपने साथ 50 हथियार भी सौंपे हैं।
सरेंडर करने वाला सोनू दादा उर्फ भूपति कई हिंसक घटनाओं में शामिल रहे हैं और उनका परिवार लंबे समय से नक्सली संगठनों से जुड़ा रहा है। उनके बड़े भाई किशन नक्सली कमांडर रह चुके हैं, जबकि उनकी भाभी सुजाता नक्सली कैंपों की ट्रेनर मानी जाती हैं। सोनू और उसकी पत्नी ने लंबे समय तक माओवादी विचारधारा के तहत सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर के अलावा छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड में सक्रिय रहे।
सरेंडर करने पर उनके लिए राज्य सरकार ने 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था। पुलिस का कहना है कि सोनू का मुख्यधारा में लौटना भाकपा/माओवादी के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने पहले ही 15 अगस्त को मौखिक और लिखित बयान जारी कर कहा था कि वे युद्धविराम के लिए तैयार हैं।
पिछले हफ्ते ऐसी खबरें भी आई थीं कि सोनू ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने पत्र में साथी कार्यकर्ताओं से अपनी जान की सुरक्षा का आग्रह किया और कहा कि वर्तमान हालात में सशस्त्र संघर्ष जारी रखना मुश्किल है। इस कदम से माओवादियों में संगठनात्मक दरार भी उजागर हुई।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की लड़ाई में लगातार सफलता मिल रही है। उन्होंने कहा, “जो संकल्प हमारे प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने लिया है, उसे तय समय में पूरा किया जाएगा। 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद को समाप्त करना हमारा लक्ष्य है।” सीएम ने उम्मीद जताई कि नक्सलवाद के खात्मे के बाद छत्तीसगढ़ के विकास की गति तेजी से बढ़ेगी।
इस घटनाक्रम को न केवल सुरक्षा बलों की बड़ी जीत माना जा रहा है, बल्कि यह मुख्यधारा में लौटने वाले माओवादियों के लिए सशस्त्र संघर्ष छोड़ने का एक प्रेरक उदाहरण भी माना जा रहा है।
कुख्यात नक्सली सोनू दादा उर्फ भूपति ने डाले हथियार, डेढ़ करोड़ का था इनामी; 60 अन्य नक्सलियों ने भी किया सरेंडर













