सियोल: चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। दक्षिण कोरिया की सॉन्गक्यूंकवान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हड्डी से जुड़ी सर्जरी के क्षेत्र में क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है। उन्होंने एक सामान्य ग्लू गन को मॉडिफाई कर ऐसा उपकरण बनाया है, जो टूटी हुई हड्डियों पर सीधे हड्डी जैसा पदार्थ 3D प्रिंट कर सकता है।

इस शोध का नेतृत्व बायोमेडिकल इंजीनियर जंग सेउंग ली और उनकी टीम ने किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक जटिल और अनियमित हड्डी की चोटों को बिना अतिरिक्त प्रक्रिया के ठीक करने में मदद कर सकती है।
कैसे काम करती है यह तकनीक?
इस डिवाइस की खासियत यह है कि यह सर्जरी के दौरान ही टूटी हड्डी पर सीधे स्कैफोल्ड (हड्डी जैसी संरचना) तैयार कर देती है। इसके लिए पहले से इमेजिंग, मॉडलिंग या हड्डी की कटिंग की जरूरत नहीं पड़ती।
स्कैफोल्ड बनाने के लिए पॉलीकैप्रोलैक्टोन (PCL) और हाइड्रॉक्सीएपेटाइट (HA) जैसे बायोमटेरियल का उपयोग किया गया।
यह तकनीक लो-टेम्परेचर प्रिंटिंग पर काम करती है, जिससे आसपास के ऊतकों को नुकसान नहीं पहुंचता।
रिसर्च टीम ने HA की मात्रा और PCL के मॉलिक्यूलर वेट को एडजस्ट कर स्कैफोल्ड की मजबूती और टिकाऊपन को बेहतर बनाया।
ट्रायल और संभावनाएं
अब तक इसका सफल प्री-क्लिनिकल ट्रायल खरगोशों पर किया गया है। नतीजे उम्मीद जगाने वाले रहे हैं। टीम का दावा है कि यह भविष्य में इंसानों पर भी लागू किया जा सकेगा। साथ ही, अगर स्कैफोल्ड में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाए तो संक्रमण का खतरा भी काफी हद तक घटाया जा सकता है।
क्या बदल जाएगा हड्डी की सर्जरी में?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है जिनकी हड्डियों में अनियमित या जटिल फ्रैक्चर हैं।
ऑपरेशन के दौरान तुरंत हड्डी जैसी संरचना बनाई जा सकेगी।
मरीज की रिकवरी तेज होगी और सर्जरी की लागत भी कम हो सकती है।
भविष्य में यह तकनीक ऑर्थोपेडिक सर्जरी की दिशा बदल सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानों पर ट्रायल सफल होने के बाद यह डिवाइस ऑपरेशन थिएटर का अहम हिस्सा बन सकती है और हड्डियों की जटिल सर्जरी को आसान, सुरक्षित और ज्यादा प्रभावी बना देगी।