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रांची: इन दिनों देश में जहां-जहां गठबंधन की सरकार है वहां दो-दो डिप्टी सीएम का प्रचलन जोरों पर है। इसी तर्ज पर झारखंड में भी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद और नए मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन के शपथ लेने के बाद कैबिनेट विस्तार के फैसले में दो डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है। जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा कोटे से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन और कांग्रेसी कोटे से मंत्री आलमगीर आलम का नाम सामने आ रहा है। हालांकि अभी तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर चुनाव की वजह से मंत्रिमंडल में ज्यादा कुछ फेरबदल नहीं होने की संभावना जताई जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री के भाई बसंत सोरेन और बड़ी भाभी सीता सोरेन नाराज चल रही थी। जिन्हें मनाने का बीड़ा दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने उठाया था और मना भी लिया था। अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि उसी समय बसंत सोरेन को डिप्टी सीएम और सीता सोरेन को मंत्री बनाए जाने की सहमति बनी थी।

मुख्यमंत्री चंपई सोरेन अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, गुरुजी के परिवार से उनके पुत्र बसंत सोरेन नए मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल होंगे. इसके अलावा

वहीं दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि झामुमो और कांग्रेस कोटे के सभी पूर्व मंत्रियों को फिर से कैबिनेट में जगह मिलने की सूचना है। यह भी जानकारी मिली है कि इस कैबिनेट में भी 12वें मंत्री का पद खाली रह सकता है।

चुनावी वर्ष होने के कारण नहीं होगा कई बदलाव

झामुमो कोटे से मिथिलेश ठाकुर, हफीजुल हसन, बेबी देवी और जोबा मांझी को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है. वहीं कांग्रेस कोटे से डॉ रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख फिर मंत्री बनने वाले हैं।कांग्रेस से आलमगीर आलम और राजद से सत्यानंद भोक्ता पहले ही मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं हालांकि कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को बदलने के लिए कई विधायकों का दबाव लगातार चल रहा था, लेकिन चुनावी वर्ष होने की वजह से कांग्रेस आलाकमान बदलाव से परहेज करने के फेवर में रहा।

8 फरवरी को कैबिनेट विस्तार के लिए जब पहली तारीख तय हुई थी, उस वक्त करीब-करीब तय हो गया था कि बादल पत्रलेख की जगह दीपिका पांडे सिंह को कैबिनेट में जगह दी जा सकती हैयहीं से कांग्रेस में दबाव की राजनीति शुरू हुई।ओबीसी कोटे से आने वाली अंबा प्रसाद भी लगातार दबाव बना रही थी।इसकी वजह से मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख बढ़ाकर 16 फरवरी करनी पड़ी।

ऐसे होगा विभाग का बंटवारा

सूत्रों से जानकारी मिली है कि ज्यादातर मंत्रियों के पास वही विभाग रहेंगे जो पूर्व में रहे हैं।सिर्फ उन विभागों को मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और बसंत सोरेन के बीच बांटा जाएगा जो विभाग हेमंत सोरेन के पास थे।सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि गृह विभाग की जिम्मेदारी किसको मिलती है।

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