कंधार/इस्लामाबाद: तुर्की के इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संभावित सीजफायर वार्ता से ठीक पहले सीमावर्ती तनाव एक बार फिर उभर आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी फौज ने अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के स्पिन बोलदक इलाके में अफगान सीमा बलों पर गोलाबारी की और मोर्टार दागे।
फिलहाल, हताहतों की जानकारी सामने नहीं आई है। बताया जा रहा है कि हमले में पाकिस्तानी सैनिकों ने तालिबान लड़ाकों को भी निशाना बनाया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ वीडियोज में सीमा क्षेत्र से धुआं उठता और लोग भागते हुए दिखाई दे रहे हैं।
अफगान मीडिया संगठन TOLOnews ने बताया कि पाकिस्तानी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव तेजी से बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, झड़पें कंधार प्रांत के लुकमान गांव में हुईं, जहां पहले गोलीबारी और बाद में मोर्टार हमले किए गए। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी पक्ष ने इस दौरान एक स्थानीय नागरिक के घर को भी निशाना बनाया।
फिलहाल दोनों ओर से फायरिंग बंद हो चुकी है, लेकिन सीमा क्षेत्र में दहशत का माहौल है। स्थानीय निवासी संघर्ष के बीच शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। अब तक न तो इस्लामाबाद और न ही काबुल प्रशासन की ओर से इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है।
इस्तांबुल में होने वाली पाकिस्तान-अफगानिस्तान वार्ता पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान के अफगान मामलों के पूर्व विशेष दूत आसिफ दुर्रानी ने कहा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को नियंत्रित करने की इस्लामाबाद की कोशिशें तभी सफल होंगी जब उसे अपने ही जनजातीय इलाकों का समर्थन मिलेगा।
दुर्रानी के अनुसार, “सिर्फ सीमा पार कार्रवाई या बाहरी दबाव से समस्या खत्म नहीं होगी। पाकिस्तान को इस मुद्दे का समाधान अपने भीतर ही तलाशना होगा, क्योंकि टीटीपी की जड़ें पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर गहराई से फैली हुई हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान पर दबाव बनाने या सीमाई गोलाबारी करने से आतंकवाद की समस्या नहीं मिटेगी, बल्कि इससे दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ सकते हैं।
सीमा पर बढ़ता तनाव और शांति की उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया झड़पें दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद अविश्वास को और गहरा कर सकती हैं। वहीं, तुर्की में होने वाली वार्ता से पहले यह हिंसा शांति प्रयासों पर भी सवाल खड़े करती है।
स्थानीय अफगान समुदायों ने दोनों देशों से अपील की है कि वे सीमा पर तनाव कम करें और वार्ता के जरिए स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं।













