Pitru Paksha 2025: चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। उनकी नीतियां केवल राजनीति तक सीमित नहीं थीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शक मानी जाती हैं। पितृपक्ष के पावन अवसर पर चाणक्य का यह ज्ञान और भी प्रासंगिक हो जाता है।
आइए जानते हैं चाणक्य की 4 प्रमुख बातें, जिन्हें पितृपक्ष में अपनाना जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकता है।
1. पूर्वजों का सम्मान और कर्म का महत्व
चाणक्य नीति के अनुसार, पूर्वजों का सम्मान करने और उनके लिए तर्पण करने से परिवार और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है। पितृपक्ष में किया गया श्राद्ध केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह कर्मफल को सकारात्मक बनाने का मार्ग है।
2. जीवन में ऋण चुकाना अनिवार्य
चाणक्य का मानना था कि जीवन में हर व्यक्ति पर तीन तरह के ऋण होते हैं—आर्थिक, पूर्वजों का और सामाजिक। पितृपक्ष के दौरान किया गया दान और भोजन इन ऋणों को चुकाने का प्रतीक है। इससे परिवार में संतुलन और जीवन में स्थायित्व आता है।
3. पूर्वजों के अनुभव से सीखना
जो व्यक्ति अपने पूर्वजों के अनुभवों और शिक्षाओं को याद रखता है, वह सही और दूरदर्शी निर्णय लेने में सक्षम होता है। पितृपक्ष के कर्म न केवल धार्मिक कर्तव्य हैं, बल्कि यह विवेक और ज्ञान को विकसित करने का भी माध्यम हैं।
4. परिवार और सामाजिक संबंधों का महत्व
चाणक्य ने परिवार और समाज को जीवन का आधार माना है। पितृकर्म करने से धन, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति के निजी और व्यावसायिक जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
पितृपक्ष हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में संबंधों और कर्तव्यों को संतुलित रखना कितना आवश्यक है। चाणक्य की इन नीतियों को अपनाकर व्यक्ति न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान कर सकता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता भी प्राप्त कर सकता है।
Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में अपनाएं चाणक्य के बताये ये 4 सूत्र, मिलेगा सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण

