ख़बर को शेयर करें।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लगातार 11वीं बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। स्वतंत्रता दिवस पर, अपने तीसरे कार्यकाल का पहला संबोधन शुरू करते ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पीछे छोड़ दिया। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 के दौरान लाल किले की प्राचीर से 10 बार तिरंगा फहराया था। इस मामले में मोदी पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। नेहरू को लाल किले से तिरंगा फहराने का सम्मान 17 बार और इंदिरा को 16 बार मिला था।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ”देश स्वतंत्रता सेनानियों का ऋणी है, यह उनके बलिदान को याद करने का दिन है” 78वें स्वतंत्रता दिवस की थीम विकसित भारत है। इसके तहत स्वतंत्रता के 100वें साल 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा गया।

पीएम ने कहा हम आजादी के पहले के वो दिन याद करें, जब सैकड़ों साल की गुलामी रही। सभी ने गुलामी के खिलाफ जंग लड़ी। इतिहास गवाह है 1857 का स्वतंत्रता संग्राम से पहले आदिवासी क्षेत्रों में आजादी की जंग लड़ी गई। गुलामी एक लंबा काल था, जुल्मी शासक, अपरंपार यातनाएं, मानवीय विश्वास तोड़ने की तरकीबी, मगर उस वक्त 40 करोड़ देशवासियों ने जज्बा दिखाया, एक सपना लेकर चले, एक संकल्प लेकर चलते रहे। बस एक ही स्वर था वंदेमातरम। एक ही सपना था भारत की आजादी का। पीएम ने कहा आज जो महानुभाव राष्ट्ररक्षा के लिए राष्ट्रनिर्माण के लिए पूरी लगन के साथ देश की रक्षा कर रहे हैं, चाहे हमारा किसान हो, जवान हो हमारे नौजवानों का हौसला हो, हमारी माता-बहनों का योगदान हो, अभावों के बीच भी स्वतंत्रता के प्रति उसकी निष्ठा पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं। पीएम ने कहा मेरे प्यारे देशवासियों मेरे परिवारजन, आज वो शुभ घड़ी है जब हम देश के लिए मर मिटने वाले देश की आजादी के लिए जीवन समर्पित करने वाले आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी पर चढ़कर भारत माता की जयकार लगाने वालों को नमन करने का पर्व है। आजादी के दीवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। हमें गर्व है हमारी रगों में उनका ही खून है। हमारे पूर्वज सिर्फ 40 करोड़ थे, उन्होंने गुलामी जंजीरों को तोड़ दिया था। 140 करोड़ नागरिक अगर संकल्प लेकर चल पड़ें, एक दिशा निर्धारित कर लें, कदम से कदम मिलाकर चल पड़ें तो चुनौतियां कितनी बड़ी क्यों न हो, हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्व भारत बना सकते हैं। हम 2047 विकसित भारत का संकल्प प्राप्त कर सकते हैं।