---Advertisement---

दो वोटर आईडी के चक्कर में फंसे प्रशांत किशोर, EC ने भेजा नोटिस; तीन दिन में मांगा जवाब

On: October 30, 2025 9:12 AM
---Advertisement---

Prashant Kishor: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर पर निर्वाचन आयोग की निगाहें टिक गई हैं। आयोग ने उन्हें नोटिस जारी करते हुए आरोपों पर तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है। मामला गंभीर इसलिए बना है क्योंकि रिकॉर्ड में प्रशांत किशोर का नाम एक नहीं, बल्कि दो राज्यों, बिहार और पश्चिम बंगाल  की वोटर लिस्ट में दर्ज पाया गया है। चुनावी नियमों के मुताबिक किसी भी व्यक्ति का नाम दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में होना कानूनन अपराध है।

सासाराम के करगहर विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर की रिपोर्ट के बाद विवाद खड़ा हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रशांत किशोर का नाम न सिर्फ बिहार के करगहर विधानसभा क्षेत्र में दर्ज है, बल्कि पश्चिम बंगाल के भवानीपुर क्षेत्र की वोटर लिस्ट में भी उनकी एंट्री मौजूद है।

कानून क्या कहता है

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1960 के तहत एक ही व्यक्ति का नाम दो स्थानों पर दर्ज होना स्पष्ट उल्लंघन है। दोष साबित होने पर अधिकतम एक वर्ष की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।

प्रशांत किशोर का पक्ष

प्रशांत किशोर ने अपनी ओर से स्पष्टीकरण देते हुए इसे पूरी तरह चुनाव आयोग की त्रुटि बताया है। उन्होंने कहा, “जब मैं 2021 में बंगाल चुनाव कराने गया था, तब का मेरा वोटर कार्ड है। अब मैं बिहार का वोटर हूं और पिछले तीन साल से यहां वोटर के रूप में दर्ज हूं। यह पूरी तरह आयोग की गलती है। हमारे पास बिहार वाली वोटर आईडी और संबंधित रसीद है।”

राजनीतिक मायने और संभावित असर

चुनावी मौसम में इस विवाद ने सियासी माहौल गरमा दिया है। प्रशांत किशोर, जो अब सक्रिय राजनीति में हैं और बिहार में अपनी जन सुराज पार्टी को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी विश्वसनीयता विपक्ष के निशाने पर आ सकती है।

विश्वसनीयता पर सवाल: राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने पीके की छवि साफ-सुथरी रही है। विपक्ष इसे उनके भरोसे और ईमानदारी पर हमला बोलने का अवसर बना सकता है।

विपक्ष को हथियार: प्रदेश की अन्य पार्टियां चुनावी प्रचार में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा सकती हैं, यह कहते हुए कि नियमों का पालन करने की बात करने वाले नेता खुद नियमों के दायरे में फंस गए हैं।


आगे क्या?

निर्वाचन आयोग ने प्रशांत किशोर से तीन दिनों में लिखित जवाब मांगा है। अगर उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो आयोग आगे की कार्रवाई कर सकता है, जिसमें कानूनी प्रक्रिया भी शामिल है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मामला किस दिशा में जाता है और इसका राजनीतिक समीकरणों पर कितना असर पड़ता है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

Join WhatsApp

Join Now

और पढ़ें

मोकामा में जनसुराज पार्टी समर्थक की गोली मारकर हत्या, अनंत सिंह के समर्थकों पर आरोप

छपरा, आरा और सिवान न हो तो यूपी के लड़के कुंवारे रह जाएंगे.. सपा सांसद बोले- दहेज में मांगेंगे वोट

बिहार चुनाव के बीच जदयू की बड़ी कार्रवाई, पूर्व मंत्री-विधायक समेत 11 नेता पार्टी से निष्कासित

‘मरना कबूल करेंगे लेकिन वापस RJD में नहीं जाएंगे’, बिहार चुनाव के बीच तेज प्रताप का बड़ा बयान

Bihar Election: तेजस्वी यादव होंगे महागठबंधन का सीएम फेस, मुकेश सहनी समेत 2 उपमुख्यमंत्री; अशोक गहलोत ने किया ऐलान

बिहार विधानसभा चुनाव: नामांकन रद्द होने से तीन सीटों पर सियासी समीकरण बदले, महागठबंधन और एनडीए दोनों को झटका