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अपने झारखंड दौरे को ऐतिहासिक बनाती जा रही हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू!ऐसे….

On: December 29, 2025 10:17 PM
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रिपोर्ट सतीश सिन्हा

जमशेदपुर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने तीन दिवसीय झारखंड दौरे को ऐतिहासिक बनाती जा रही है। पहले तो करनडीह स्थित दिशोम जाहेरथान प्रांगण में सोमवार को आयोजित 22वें संताली ‘परसी माहा’ एवं ओल चिकी लिपि शताब्दी समारोह में,इसके अलावा सरायकेला खरसावां जिला में आदित्यपुर आकाशवाणी भवन के पास अपना प्रोटोकॉल तोड़कर लोगों से गर्म जोशी से मिली। जहां लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाए और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तकरीबन 500 मी सड़क पर पैदल भी चलीं। इसके अलावा और एक यादगार पल उस वक्त आया। जब सरायकेला जिले के आदित्यपुर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर का 15वां दीक्षांत समारोह उस समय चर्चा में आ गया, जब कार्यक्रम में शामिल भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान मंच से ऐसी टिप्पणी की, जिसने पूरे सभागार में मौजूद लोग सोचने लगे।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि जिन विद्यार्थियों को मेडल और डिग्रियां प्रदान की जा रही हैं, उन्हें देखकर अन्य छात्र-छात्राओं के चेहरों पर अपेक्षित खुशी नजर नहीं आ रही है। उन्होंने मंच से यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो तालियां बजाने से मना किया गया हो या फिर विद्यार्थियों को भूख लग गई हो। राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को कई लोग व्यंग्य के रूप में भी देख रहे हैं।राष्ट्रपति ने आगे कहा कि “देने वाला ही पाता है। आज अगर आप दूसरों के लिए तालियां बजाएंगे, तो कल आपके लिए भी तालियां बजेंगी।” राष्ट्रपति के इस कथन ने समारोह में मौजूद छात्र-छात्राओं को सीधे तौर पर संबोधित किया और माहौल को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास किया।राष्ट्रपति के इस संदेश के तुरंत बाद पूरे सभागार में तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस तरह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने झारखंड दौरे को ऐतिहासिक बनाती रहीं।

करनडीह स्थित दिशोम जाहेरथान प्रांगण में सोमवार को आयोजित 22वें संताली ‘परसी माहा’ एवं ओल चिकी लिपि शताब्दी समारोह में करनडीह स्थित दिशोम जाहेरथान प्रांगण में अपने संबोधन की शुरुआत लगभग तीन मिनट तक “जोहार जोहार आयो…” गीत से की, जिसे सुनकर कार्यक्रम में मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो गए।

संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि का महत्व
राष्ट्रपति ने अपने जीवन संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि समाज के प्रेम और इष्टदेवों के आशीर्वाद ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने ओल चिकी लिपि को संथाली समाज की पहचान, आत्मसम्मान और एकता का आधार बताया। राष्ट्रपति ने संविधान में संथाली अनुवाद का महत्व बताते हुए कहा कि जब कानून और अधिकारों की जानकारी मातृभाषा में होगी तो समाज सशक्त बनेगा और निर्दोष लोग न्याय से वंचित नहीं होंगे।

साहित्य और संस्कृति के संरक्षण में योगदान
राष्ट्रपति ने ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के योगदान की सराहना की और भरोसा जताया कि वे ओल चिकी लिपि और संथाली समाज के संरक्षण व विकास के लिए लगातार प्रयास करेंगी। समारोह में साहित्यकारों, शिक्षकों और साधकों को सम्मानित भी किया गया।

समारोह में मौजूद प्रदेश के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह आयोजन केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि जनजातीय संस्कृति की जीवंतता और गर्व का प्रतीक है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के जीवन संघर्ष को पूरे आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और जमशेदपुर को सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक शहर बताया। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था और ओल चिकी लिपि हमारी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। राज्यपाल ने कहा कि राज्यपाल भवन जनजातीय भाषाओं और संस्कृतियों के संरक्षण के लिए हमेशा सक्रिय रहेगा।

जनजातीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है राज्य सरकार : सीएम
सीएम हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि के विकास में योगदान ऐतिहासिक महत्व का है। उन्होंने संविधान के संथाली अनुवाद को समाज के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संथाली समाज को लिपि देकर जो पहचान दी, उसके लिए पूरा समाज उनका आभारी है। सीएम ने यह भी कहा कि राज्य सरकार जनजातीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है।

इन्हें मिला सम्मान
समारोह के समापन अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संथाली साहित्य और ओल चिकी लिपि को समृद्ध करने वाले साहित्यकारों, शिक्षकों और साधकों को सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में शोभनाथ बेसरा, पद्मश्री डॉ. दमयंती बेसरा, मुचीराम हेम्ब्रॉम, भीमवार मुर्मू, साखी मुर्मू, रामदास मुर्मू, चुंडा सोरेन सिपाही, छोतराय बास्के, निरंजन हंसदा, बी.बी. सुंदरमन, सौरव, शिव शंकर कंडेयांग, सी.आर. माझी सहित कई अन्य नाम शामिल रहे।

वहीं दूसरी ओर एनआईटी के दौरे पर पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदित्यपुर में ऐसा मानवीय और आत्मीय कदम उठाया, जिसने आम जनता का दिल जीत लिया. निर्धारित कार्यक्रम और कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल के बीच राष्ट्रपति ने आकाशवाणी चौक के पास अचानक अपनी गाड़ी रुकवाने का निर्देश दिया और वहां पहले से मौजूद लोगों से मिलने के लिए स्वयं बाहर निकल आईं.
राष्ट्रपति को अपने बीच पाकर लोग भावुक हो उठे. भारत माता की जय के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा. कई लोगों ने इस पल को अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया, तो कई ने इसे अपने जीवन का अविस्मरणीय क्षण बताया. कुछ ही देर जनता के बीच बिताने के बाद राष्ट्रपति वापस अपने काफिले में सवार हुईं और आगे के कार्यक्रम के लिए रवाना हो गईं. हालांकि यह मुलाकात थोड़ी देर की थी, लेकिन इसका असर गहरा रहा.

बहरहाल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का झारखंड दौरा ऐतिहासिक बनता जा रहा है और अभी आगे गुमला में देखना है क्या होता है कुल मिलाकर राष्ट्रपति को देखने के लिए सड़कों के किनारे लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। लोग अपने मोबाइल कैमरे से उनका वीडियो और फोटो शूट करने के लिए और उन्हें देखने के लिए उतावले थे।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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