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मदन साहु

सिसई (गुमला): सिसई प्रखंड के लरंगो व घाघरा पंचायत मे राशन डीलर महिला मंडल स्वयम सहायता समूहों का काला खेल निरंतर जारी है। बता दे कि इन दोनों पंचायत मे जिन जिन महिला मंडल को राशन डीलरशिप मिला है उस समूह के अध्यक्ष व सचिव के दादागिरी से मंडल की अन्य महिलाएं अपने को ठगा महसूस करने लगी है। समूह में महिलाओं का दस सदस्य होता है लेकिन अध्यक्ष एवं सचिव आठ सदस्य को दर किनार कर डीलरशिप का खुद लाभ उठा रहे हैं। सरकार की ओर मिलने वाला पैसा हो या फिर राशन बाकि सदस्यों को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा रहा है। अध्यक्ष सचिव खुद राशन का मिलने वाले पैसे को खा जाते हैं।बाकि सदस्य को सिर्फ नाम के लिए ग्रुप मे रखा गया है। ऐसे में समूह के बाकि सदस्य आर्थिक रूप से ना मजबूत हो पा रही हैं और ना ही  स्वावलंबी बन पा रही है। राशन डीलर स्वयं सहायता समूह का देख रेख जेएसएलपीएस विभाग को करना है और राशन वितरण स्वयं सहायता समूह का हर महीना बैठक कराना है लेकिन कभी भी जेएसएलपीएस विभाग की ओर से गांव गांव जाकर लाईसेंस धारी महिला मंडलो का बैठक नही किया जाता है। इससे और भी समूह का दादागिरी पनपने लगा है और बाकि महिला सदस्य आर्थिक रूप से कमजोर होती जा रही हैं।

इस मामले को लेकर समूह मे आये दिन बकझक होता रहता है और दादागिरी कर समूह के अध्यक्ष व सचिव बाकि सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखा देते है और ये खेल समूह में लम्बे समय से चल रहा है। राशन डीलर का लाइसेंस महिला मंडलों को दिया गया है उसे समूह के अध्यक्ष व सचिव के पति दुकान को चलाते हैं। ऐसे में समूह की महिलाएं राशन दुकान चलाना नही सीख पा रही हैं उसके बावजूद भी जेएसएलपीएस विभाग कोई ध्यान नही दे रहा है। एक समूह मे कम से कम दस महिलाओ का समूह होता है जिन्हे आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार राशन डीलर का लाइसेंस प्रदान करती है। लेकिन समूह के अध्यक्ष सचिव बाकि सदस्य को दादागिरी कर कोई लाभ नही देती है जिस कारण समूह के अन्य महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलंबी नही बन पा रही। सरकार की ओर से मिलने वाला राशि को भी समूह के अध्यक्ष व सचिव अकेले हङप लेती जिसे बाकि सदस्य पिछड़ती जा रही है। इस ओर विभाग को हर माह डीलरों के साथ बैठक कर वितरण से संबंधित जानकारी ली जानी है लेकिन विभाग कोई बैठक नही करता है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग अपने जिम्मेदारी के प्रति कितना सजग है।